इन्होंने रखे मुद्दों पर विचार
गोष्ठी के पहले विषय संवत्सरी पर्व का आयोजन एक दिन कैसे हो, पर संगठन के उगमराज सांड ने विचार व्यक्त किए। इसके बाद समाज के महेश बोहरा, अनिल भंसाली, मनीष पगारिया, जय कुमार पिंचा, रितु मेहता, विनोद भंसाली व दिलीप कटारिया ने सुझाव दिए। विशेष वक्ता मोहनलाल तलेसरा ने संबोधित किया। दूसरे विषय विवाह के बाद पारिवारिक मतभेद की वजह से संबंध विच्छेद ना हो इसकी समझाइश कैसे हो सकती है, पर विकास बुबकिया, सुमित्रा जैन, ज्योति बाफना, हीरामणि कटारिया, शिप्रा बोकडिय़ा, प्रेमलता मेहता, सीमा मरलेचा, डूंगर चौपड़ा ने विचार रखे। विशेष वक्ता नेमीचंद चौपड़ा ने संबोधित किया। श्रीसंघ अध्यक्ष तातेड़ ने गोष्ठी का सार संक्षेप में बताया।
गोष्ठी के पहले विषय संवत्सरी पर्व का आयोजन एक दिन कैसे हो, पर संगठन के उगमराज सांड ने विचार व्यक्त किए। इसके बाद समाज के महेश बोहरा, अनिल भंसाली, मनीष पगारिया, जय कुमार पिंचा, रितु मेहता, विनोद भंसाली व दिलीप कटारिया ने सुझाव दिए। विशेष वक्ता मोहनलाल तलेसरा ने संबोधित किया। दूसरे विषय विवाह के बाद पारिवारिक मतभेद की वजह से संबंध विच्छेद ना हो इसकी समझाइश कैसे हो सकती है, पर विकास बुबकिया, सुमित्रा जैन, ज्योति बाफना, हीरामणि कटारिया, शिप्रा बोकडिय़ा, प्रेमलता मेहता, सीमा मरलेचा, डूंगर चौपड़ा ने विचार रखे। विशेष वक्ता नेमीचंद चौपड़ा ने संबोधित किया। श्रीसंघ अध्यक्ष तातेड़ ने गोष्ठी का सार संक्षेप में बताया।
ये रहे अतिथि कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि विधायक ज्ञानचंद पारख, मोहनलाल तलेसरा, रमेश बरडिय़ा, मांगीलाल गांधी, रमेश पारख, उत्तमचंद मुथा, कांतिलाल लुंकर, संपत कोटडिय़ा, सज्जनराज गोलेछा, पदमचंद डोसी, अगरचंद मेहता, सुकनराज संचेती थे। मंच संचालन विनय बम्ब व नितेन्द्र जैन ने किया। संगठन अध्यक्ष रूपेश पारख, सचिव सुरेश लुंकड़, विशाल कांकरिया, अंकित भंसाली, प्रवीण तातेड़, निर्मल बलिया, अनिल छाजेड़ आदि ने सहयोग किया