जवाई बांध में अभी तक करीब अप्रेल तक का पानी शेष है। जबकि रायपुर लुणी में 40 सेंट पानी है। जो दिसम्बर-जनवरी तक ही प्यास बुझा सकता है। इसी तरह कंटालिया बांध से 10 गांवों में जलापूर्ति की जाती है और इसमें सिर्फ 2.5 मीटर पानी शेष रह गया है। गजनई बांध से 19 गांवों की प्यास बुझाई जाती है और इसमें 3.90 मीटर पानी शेष रह गया है। जो दिसम्बर व जनवरी तक ही उपयोग में आ सकेगा।
जिले में भू-जल पर निर्भर गांवों की संख्या 422 है। ये भू-जल स्रोतों (ट्यूबवेल, कुएं आदि) भी बांधों व नदियों में पानी की आवक होने पर ही रिचार्ज होते है। जो इस बार इन्द्र की बेरुखी के कारण रिचार्ज नहीं हो सके है। ऐसे में भू-जल पर निर्भर गांवोंं में भी पानी के त्राहि-त्राहि मच सकती है।
जिन गांवों में पेयजल संकट गहरा सकता है। इनमें पांच क्षेत्र के गांव अधिक है। इनमें जैतारण, रायपुर, सोजत, बाली और मारवाड़ जंक्शन के गांवों की संख्या सबसे अधिक है।
16 गांव रायपुर लुणी बांध पर
10 गांव कंटालिया बांध पर
19 गांव गजनेई बांध पर
550 गांव जवाई बांध
107 गांव है जिले में बांधों में पानी की कमी है। इसे लेकर जलापूर्ति के लिए नया प्लान बनाया है। इसके तहत जरूरत पडऩे पर नए कुएं व ट्यूबवेल खुदवाकर जलापूर्ति की जाएगी। इसके अलावा जरूरत पडऩे पर कुछ गांवों में टैंकरों के माध्यम से भी जलापूर्ति की व्यवस्था करेंगे। पानी के लिए किसी को परेशानी नहीं होने देंगे। -नीरज माथुर, अधीक्षण अभियंता, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग, पाली