फायरमैन पद पर कार्यरत डिम्पल ने बताया कि वर्तमान में शिवाजी नगर स्थित दमकल कार्यालय में काम कर रही हैं। पुलिस सेवा में जाने का मन था, लेकिन फायर मैन की वैकेंसी पहले आई तो इसका फॉर्म भी भर दिया और किस्मत से जॉब लग गई। शुरू-शुरू में धुआं व आग देखकर कुछ नर्वस हो जाती थी, लेकिन अब आग व धुआं उठता देखते ही दिल से एक ही आवाज आती हैं कि वहां मेरा काम हैं। ढाई माह के बच्चे को छोडकऱ भी ड्यूटी पर जाती रही हूं। अब बच्चा ढाई वर्ष का हो गया हैं। शुरू-शुरू में परिवार को मेरी चिंता होती थी, लेकिन ऐसे समय में भी सास व पति नवीन राव ने खूब साथ निभाया।
फायरमैन लक्ष्मीदेवी का कहना हैं कि शुरू से ही इच्छा थी कि ऐसा काम किया जाए जिससे लोगों की सेवा हो सके। पुलिस व सेना में जाने का मन बना लिया था, लेकिन किस्मत में फायर मैन बनना लिखा था। शुरू-शुरू में घर वाले चिंता करते थे कि यह जोखिम भरा काम कैसे करूंगी। लेकिन आज में घर-परिवार को संभालने के साथ ही ड्यूटी भी अच्छे से कर रही हूं। कोरोना काल में जब लोग घरों में कैद से थे। एक-दूसरे से दूरी रख रहे थे। ऐसे समय में वह टीम के साथ शहर में सेनेटाइजर का छिडक़ाव करने में लगी रही, जो उसके लिए गौरव की बात हैं।
फायर मैन के पद पर कार्यरत रेखादेवी का कहना हैं कि मन में जज्बा हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं होता। ऐसे-ऐसे दिन भी देखे, जब दिन में चार-पांच बार कॉल आने पर टीम के साथ आग बुझाने गई। आग की लपटें और उठता हुआ धुएं से तो मानो अब दोस्ती हो गई। उसे देखकर डर नहीं लगता। मन में बस एक ही सवाल रहता है कि जल्द से जल्द आग बुझाएं। जिससे अगले व्यक्ति का कम से कम नुकसान हो। वह कहती है कि महिलाओं को कभी भी पीछे नहीं हटना चाहिए। वे चाहे तो कोई भी काम कर सकती है, बशर्ते उस काम के प्रति मन में लगन हो।