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ये स्वर्णिम अवसर : सरकार के साथ मिलकर करें देश की आर्थिक प्रगति, पढ़ें पूरी खबर…

‘बने नया भारत’ अभियान :-राजस्थान पत्रिका के ऑनलाइन संवाद में प्रशासनिक अधिकारी, उद्योगपति, कृषि विज्ञानिक, किसान, पशुपालक और पशुपालन विभाग के अधिकारी भी रहे मौजूद

पालीMay 26, 2020 / 04:26 pm

Suresh Hemnani

ये स्वर्णिम अवसर : सरकार के साथ मिलकर करें देश की आर्थिक प्रगति, पढ़ें पूरी खबर…

पाली। व्यापार, खेती और पशुपालन के लिहाज से मारवाड़-गोडवाड़ में अपार संभावनाएं मौजूद है। बशर्ते, सरकार और निजी स्तर पर सिद्दत से प्रयास किए जाए तो यह इलाका पुन: सरसब्ज हो सकता है। खासतौर से बाहरी राज्यों से लौटे लाखों प्रवासियों को अपनी ही जन्म भूमि पर रोजगार और व्यापार का अवसर मिल सकता है। यहां कई नए उद्योग स्थापित किए जा सकते हैं तो खेती और पशुपालन में भी मुनाफा कमाया जा सकता है। राजस्थान पत्रिका के ‘बने नया भारत’ अभियान के तहत हुई वेबिनार में ऐसे ही कई उपयोगी सुझाव आए। ऑनलाइन संवाद में प्रशासनिक अधिकारी, उद्योगपति, कृषि विज्ञानिक, किसान, पशुपालक और पशुपालन विभाग के अधिकारी भी मौजूद रहे।
ट्रैनिंग प्रोग्राम की जरूरत
कपड़ा इकाइयों में काम करने वाले 50 फीसदी श्रमिक ऐसे हैं जो किसी न किसी विशेष काम में प्रशिक्षित है। ऐसे श्रमिकों का पलायन करना उद्योगों के संचालन में बड़ी बाधा है। सरकार स्वयं एवं निजी स्तर पर ऐसे कार्यक्रम चलाएं जिससे स्थानीय श्रमिकों को विकल्प के रूप में तैयार किया जा सके। –विनय बंब, कपड़ा उद्यमी
जैविक फूड की संभावनाएं
कोरोनाकाल में यह दोबारा सिद्ध कर दिया कि हमारा खानपान रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा देने वाला है। यही कारण हैं कि विकसित देशों की तुलना में हमारे यहां कोरोना से मृत्यु का आंकड़ा बेहद कम रहा है। हमारे यहां जैविक खेती और जैविक फूड को लेकर कई संभावनाएं हैं। यहां का बाजारा, खारचिया गेहूं, दालें इत्यादि रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक है। –धीरजसिंह, कृषि विज्ञानिक
पशुपालन को मजबूत बनाने की जरूरत
घुमंतु जातियां परंपरागत कार्य पशुपालन से विमुख होती जा रही है। जबकि पशुपालन में यहां असीम संभावनाएं हैं। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए पशुपालन को पुन: मजबूत करने की जरूरत है। सरकार ऐसे ग्रामीणों की मदद करें तो पशुपालन करना चाहते हैं। दूध उत्पादन और दूध निर्मित उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए विशेष योजना बनाई जाए। –हनुवंतसिंह राठौड़, निदेशक, लोक हित पशुपालक संस्थान
जैविक खेती को दें प्रोत्साहन
खेती के साथ पशुपालन जरूरी है। इससे किसान को नियमित रूप से आय होती रहती है। देशी गाय पालन का अभियान हर गांव में शुरू किया जाए। जैविक अनाज और सब्जियां उगाने वालों को सरकार प्रोत्साहित करें। बॉयोगैस को पुन: स्थापित किया जाए। इससे बिजली और गैस की भी बचत होगी। खेती और पशुपालन हर परिस्थिति में लाभदायक होंगे, ग्रामीणों में यह विश्वास जगाने की आवश्यकता है। –चैनसिंह जोधा, प्रगतिशील किसान, निवासी बलाड़ा
पशुपालन के लिहाज से समृद्ध
डेनमार्क ऐसा देश है जिसने दूध उत्पादन के तौर पर दुनियाभर में अपनी अलग पहचान कायम की है। ऐसी ही संभावनाएं हमारे यहां भी भरतपुर है। पशुपालन के लिहाज से राजस्थान काफी समृद्ध है। दूध, घी इत्यादि के अच्छे दाम मिल रहे हैं। हजारों लोग दूध के व्यवसाय में आगे बढ़े हैं। गोबर से खाद बनाकर भी पशुपालक आत्मनिर्भर बन सकता है। यहां की गिर और राठी गाय विदेशों तक में मांग है। –डॉ.चक्रधारी गौतम, उप निदेशक, पशुपालन विभाग
खत्म होगी निर्भरता
पाली में प्रवासी श्रमिकों, नौकरी पेशा और व्यापारियों के लिए रोजगार और व्यापार की असीम संभावनाएं हैं। यहां पावरलूम हब को विकसित कर रोजगार उपलब्ध कराया जा सकता है। इससे भिवंडी, इचलकरणजी और मालेगांव पर हमारी निर्भरता भी खत्म होगी। सूरत में हीरा कटिंग का काम बहुतायत में होता है। डायमंड कटिंग और पॉलिस का काम पाली में भी शुरू किया जा सकता है। रोहट के निकट आइटी हब प्रस्तावित है। –संपत भंडारी, उद्योगपति

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