हरगंगा एवं हिंगलाज माताजी के मेले में आदिवासियों ने परम्परागत गीतों पर गौर नृत्य का समा बांध दिया। मंदिर पुजारी पंडित बाबूलाल गर्ग ने बताया कि मेले का शुभारंभ शुभ मुहूर्त पर पूजा अर्चना के साथ किया गया। मेले में मेलार्थियों द्वारा अपने पित्तरों को तर्पण और पंडितों द्वारा भस्म विसर्जन की गई। मेले में मारवाड़, गोडवाड़, सिरोही, जालोर एवं जोधपुर सहित विभिन्न जिलों से श्रद्धालुओ ने भाग लिया।
ये मेला वैशाखी शुक्ल पक्ष की चतुर्थदर्शी की शाम से पूर्णिमा तक भरा जाता है। यहां हरगंगा स्थल पर गौ मुख से सदियों से अनवरत जल प्रभावित होती रहती है। पूर्णिमा के दिन रुपण माता के स्थान पर आदिवासियों द्वारा अपना पारम्परिक गौर नृत्य किया जाता है। इस नृत्य में युवक युवतियां दोनों नृत्य करते हैं।