scriptVIDEO : दो करोड़ लीटर क्षमता वाला बनाया तालाब, बरसाती पानी से करते हैं सिंचाई | Two million liters capacity pond built for farming in pali Marwar | Patrika News

VIDEO : दो करोड़ लीटर क्षमता वाला बनाया तालाब, बरसाती पानी से करते हैं सिंचाई

locationपालीPublished: Oct 23, 2020 09:21:36 am

Submitted by:

Suresh Hemnani

– बंजर भूमि को बनाया उपजाऊ, अब खड़े हैं फलदार व छायादार वृक्ष- बरसाती पानी से करते हैं सिंचाई

VIDEO : दो करोड़ लीटर क्षमता वाला बनाया तालाब, बरसाती पानी से करते हैं सिंचाई

VIDEO : दो करोड़ लीटर क्षमता वाला बनाया तालाब, बरसाती पानी से करते हैं सिंचाई

पाली/मारवाड़ जंक्शन। पहले दुकानों पर काम किया, फिर खुद का कारोबार शुरू किया। अब सारा कारोबार बच्चों को सौंप कर गांव में पर्यावरण का संरक्षण कर रहे हैं दूदौड़ गांव निवासी मांगीलाल चोयल। पर्यावरण संरक्षण के लिए उन्होंने मिसाल कायम की हैं। उन्होंने अपने खेत में करीब दो करोड़ लीटर क्षमता वाला हौद तैयार करवाया और इसमें बारिश के पानी को एकत्रित कर सालभर उसी से अपनी भूमि को सींच रहे हैं।
मांगीलाल चोयल ने बताया कि यहां रोजगार की कमी के चलते सन् 1979 में अपने गांव से दूर बाहर शहरों मे काम की तलाश में निकल गए। शहर जाकर दुकानों पर मजदूरी की। काफी वर्षोंं बाद खुद का व्यवसाय शुरू किया। जब सारा व्यवसाय अच्छे से चला तो बच्चों को संभला दिया। चोयल अपने गांव लौट आए। गांव के पास अपने बेरे चोयलों का आट पर पेड़ पौधे लगाने का कार्य शुरू किया। वर्तमान में यहां पर कई प्रकार के वृक्ष लहलहा रहे हैं। अल सुबह मांगीलाल व उनकी पत्नी दूदौड़ उपसरपंच पानीदेवी पेड़-पौधों की सार संभाल में लगते हैं। उनकी माता भी हाथ बंटाती हैं।
बबूल की झाडिय़ों की जगह खड़े हैं वृक्ष
चोयल बताते हैं कि उनके आने से पहले बेरे की जमीन काफी बंजर थी। पूरी जमीन पर बबूल की झाडिय़ां उगी थी। उन झाडिय़ों को निकलवाकर जमीन को उपजाऊ बनाया और पौधे लगाकर उनका संरक्षण शुरू किया। अब सभी पौधे वृक्ष का रूप ले चुके हैं।
बरसाती पानी से होती है सिंचाई
क्षेत्र में फ्लोराइड युक्त पानी की समस्या को देखते हुए चोयल ने बरसाती पानी का संरक्षण करने की ठानी। लाखों रुपए की लागत से हौद को तैयार करवाया। पानी को लम्बे समय तक संरक्षित रखने के लिए विदेश से सीट मंगवाकर लगवाई। इस कारण दो-तीन वर्षों तक करीब दो करोड़ लीटर बारिश का पानी एकत्रित होता है। जिसे फिल्टर करके पेड़पौधो की सिंचाई की जाती है। यही पानी घर में भी उपयोग में लिया जाता है।
65 बीघा जमीन में खेती
बेरे की लगभग 65 बीघा जमीन पर खेती करते हैं। चीकू, अनार, इलाहाबादी अमरूद, एलोवेरा, पपीता, बेर, संतरा, मौसमी, बिना बीज का नीम्बू, सहतूत, रानी, कैरूंदा सहित अनेक प्रकार के फलों के वृक्ष लगाए गए हैं। यहां जीरा, गेंहू सहित अन्य की खेती की जाती है। यहां गोबर के खाद् का उपयोग किया जाता है।
पर्यावरण संरक्षण के लिए कर रहा हूं काम
पर्यावरण संरक्षण के प्रति बचपन से इच्छा थी। मजबूरियों के कारण गांव छोडकऱ़ शहर जाना पड़ा। अब अपनी इच्छा को पूरा करने का मौका मिला है तो एसमें लगा हुआ हूं। अब मेरा उद्देश्य लोगों व पर्यावरण की सेवा करना ही है। लुप्त होने की कगार पर जो वनस्पतियां है उनपर जोर दिया जाएगा। –मांगीलाल चोयल, पर्यावरण प्रेमी
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