scriptअमरीकी राजदूत ने निहारा रणकपुर मंदिर का शिल्प वैभव | US Ambassador appreciated the grandeur of Ranakpur temple | Patrika News

अमरीकी राजदूत ने निहारा रणकपुर मंदिर का शिल्प वैभव

locationपालीPublished: Jan 25, 2020 09:11:14 pm

Submitted by:

Suresh Hemnani

-राजस्थान की यात्रा के दौरान रणकपुर जैन मंदिर [ Ranakpur Jain Temple ] पहुंचे अमरीकी राजदूत केनेथआईजस्टर [ US Ambassador KennethIster ] -मंदिर में भगवान आदिनाथ [ Lord Adinath ] की पूजा की

अमरीकी राजदूत ने निहारा रणकपुर मंदिर का शिल्प वैभव

अमरीकी राजदूत ने निहारा रणकपुर मंदिर का शिल्प वैभव

पाली/सादड़ी। भारत में अमरीकी राजदूत केनेथआईजस्टर अपनी राजस्थान यात्रा के दौरान शनिवार को रणकपुर जैन मन्दिर पहुंचे। उन्होंने भगवान आदिनाथ की पूजा की। मंदिर की प्रस्तर स्थापत्य शिल्प वैभव का अवलोकन कर मुक्तकण्ठ से प्रशंसा की। उन्होंने जिन प्रासाद रणकपुर मन्दिर को भक्ति, साधना व मन को शान्ति देने वाली अद्वितीय नायाब शिल्प कलाकृति बताया। जीवन की अविस्मरणीय यात्रा फिर मन्दिर आने की इच्छा जताई। मन्दिर अवलोकन बाद वे रणकपुर घाट सेक्शन मार्ग से उदयपुर प्रस्थान कर गए।
भारत में अमरीका के 25वें राजदूत केनेथ आई जस्टर शनिवार अलसुबह रेलमार्ग द्वारा जैसलमेर से उदयपुर पहुंचे। जहां से सुबह10 बजे रणकपुर जैन मन्दिर पहुंचे। पेढ़ी कार्यालय पर उदयपुर पर्यटन उपनिदेशक शिखा सक्सेना, बाली अपर पुलिस अधीक्षक ब्रजेश सोनी, डिप्टी भीमाराम, हनुमानसिंह भाटी, राजस्व निरीक्षक इरफान बेग मिर्जा, रणकपुर पेढ़ी प्रबन्धक जसराज गहलोत, किशन राव, अरविन्द परमार, रतन देवासी, गोविन्द राव, पुजारी कमलेश शर्मा ने उनकी अगवानी कर राजस्थानी परम्परानुसार भाल पर कुंकुम तिलक कर स्वागत किया। मन्दिर में पुजारी धु्रव ओमप्रकाश शर्मा ने उन्हें भगवान आदिनाथ की पूजा अर्चना करवाई। पुजारी शर्मा ने 600 वर्ष प्राचीन, धरणाशाह द्वारा निर्मित नायाब शिल्प कलाकृति मन्दिर के इतिहास की जानकारी दी।
उन्होंने मंदिर के 1444 खम्भे, 4 दिशाओं में 04 रंगमण्डप, कल्पवृक्ष पर्ण, आदिनाथ के मामामरूदेवी प्रतिमा, अधूरा खम्भा, 11 माला शिखर मन्दिर जो छोटे-छोटे झरोखे बनाकर मन्दिर निर्माण हुआ, पंचतत्व निर्मित एक मुंह व पांच धड़ के किचक, शहस्त्राफणा पाŸवनाथ, भैरव प्रतिमा, ऊँकार ध्वनि वाले नरमादा टंकोर, विश्व में एकमात्र डबल घेरे वाला साधना रंग मण्डप सहित जैन श्वेताम्बर धर्म की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने मन्दिर इतिहास व स्थापत्य शिल्प की मुक्तकण्ठ से प्रशंसा करते हुए हर कलाकृति का अवलोकन कर अपने कैमरे से हर अविस्मरणीय पल को कैद किया। वे दोपहर बाद सडक़ मार्ग से उदयपुर प्रस्थान कर गए।
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