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जोधपुर में जलकिल्लत से जीतने बढ़ा रहे स्टोरेज क्षमता, यहां तो लाखोटिया का गला घोंटने की होड़

locationपालीPublished: May 19, 2019 09:07:43 pm

Submitted by:

Rajeev

सरकार का पाली के साथ सौतेला व्यवहार : हमारे शहर में पानी का स्टोरेज महज पांच दिन का

PALI PATRIKA

जोधपुर में जलकिल्लत से जीतने बढ़ा रहे स्टोरेज क्षमता, यहां तो लाखोटिया का गला घोंटने की होड़

पाली. जोधपुर में इन्दिरा गांधी नहर के तीसरे चरण को वित्तीय मंजूरी मिल गई है। वहां कायलाना झील के साथ तख्तसागर और सूरपुर बांध में पानी का स्टोरेज बढ़ाने की कवायद की जा रही है। इसमें सीएम व जलदाय मंत्री भी रुचि ले रहे हैं। वहां 50 से 60 दिन का पानी स्टोरेज करने की योजना है। जबकि पाली में स्टोरेज क्षमता को घटाया जा रहा है। पाली की जनसंख्या लगातार बढ़ रही है। शहर में 24 घंटे पानी देने की पाइप लाइन बिछाई जा रही है, लेकिन पानी स्टोरेज के लिए कोई प्रयास नहीं हो रहा। इसके विपरीत जहां पानी का स्टोरेज होता था। उस तालाब को लगातार पाटा जा रहा है। उसमें अवैध कच्ची सडक़ तक बनाई जा चुकी है। तालाब को पाटकर मैदान बना दिए गए है।
20 एमसीएफटी पानी होता था स्टोरेज, आज सिर्फ आठ एमसीएफटी
पाली में पानी स्टोरेज का एक मात्र स्रोत लाखोटिया तालाब है। जो गांधीमूर्ति से लेकर नया हाउसिंग बोर्ड तक बना है। इसके पूरा भरने पर करीब 20 एमसीएफटी पानी भरता था। जबकि आज सिटी टैंक में महज आठ एमसीएफटी पानी स्टोरेज करने की क्षमता है। जबकि जनसंख्या करीब 1 लाख बढ़ चुकी है। जल कनेक्शन में 15 से 17 हजार का इजाफा हुआ है।
नगर परिषद ने यूं घटाई हमारे तालाब की क्षमता
जनसंख्या बढऩे पर नगर परिषद ने तालाब को पाटना शुरू किया। पहले भैरूघाट से लाखोटिया तक पुल बनाया गया। इसके नीचे मोरी बनाकर पानी एक हिस्से से दूसरे हिस्से में जाता था। इस तरह तालाब के दो हिस्से हुए। इसके बाद सिरे घाट का पानी काम में लेने का कहकर परिषद ने सिरे घाट के सामने दीवार बनाई। इसके बाद रामनगर क्षेत्र से लाखोटिया की तरफ अवैध कच्ची पाळ का निर्माण करवा दिया। इस तरह आज तालाब चार हिस्सों में बट गया है। जो इसकी क्षमता घटने का सबसे बड़ा कारण है।
24 घंटे जलापूर्ति होने पर तो और अधिक होगा संकट
शहर में 24 घंटे जलापूर्ति करने के लिए पाइप लाइन बिछाई जा रही है। जनप्रतिनिधि इसके लिए अपनी पीठ भी थपथपवाने में कसर नहीं छोड़ रहे, लेकिन स्टोरेज को लेकर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया है। विशेषज्ञों के अनुसार 24 घंटे जलापूर्ति करने पर सिटी टैंक का पानी महज दो से तीन दिन लोगों की प्यास बुझा सकेगा। ऐसे में स्टोरेज क्षमता नहीं बढऩे और कभी पाइप लाइन में परेशानी आने पर शहर में जलापूर्ति गडबड़ाने की आशंका को नकारा नहीं जा सकता।
आज कर सकते थे 20 दिन पानी का उपयोग
शहर में सामान्य दिनों में रोजाना 1.5 एमसीएफटी पानी की आवश्यकता होती है। उसके अनुसार 20 एमसीएफटी पानी स्टोरेज होने पर कम से कम 14 से 15 दिन तक आसानी से उपयोग में लिया जा सकता था। आज के 72 घंटे में जलापूर्ति के हालात में यह पानी कम से कम 20 दिन तक उपयोग में लिया जा सकता था।
कम से कम चाहिए सात दिन का स्टारेज
जलदाय विभाग के अधिकारियों की माने तो शहर में जलापूर्ति के लिए कम से कम सात दिन का स्टोरेज होना चाहिए। जबकि अभी 8 एमसीएफटी पानी के सिटी टैंक से अधिकतम 5 दिन तक जलापूर्ति की जा सकती है। जो क्लोजर लेने या पाइप लाइन लीकेज होने पर ठीक करने पर अपर्याप्त है।
2014 में आई थी समस्या
जवाई बांध से पाली तक जीआरपी पाइप लाइन बिछाई हुई है। इस पाइप लाइन में लीकेज की आशंका रहती है। लीकेज ठीक करने में भी समय लगता है। वर्ष 2014 में सिटी टैंक में पानी कम था और पाइप लाइन लीकेज हो गई थी। जिसे ठीक करने में तीन दिन लगे थे। इसके बाद फिर पाइप लाइन दूसरी जगह से लीकेज हो गई थी और शहर में जल संकट गहरा गया था। यह हालात कम स्टोरेज के कारण ही बने थे।
स्टोरेज बढऩे से लाभ
पानी का स्टोरेज बढऩे से लाभ होगा। लीकेज आदि होने पर भी जलापूर्ति बाधित नहीं होगी। सिटी टैंक में ही स्टोरेज हो रहा है। सिरे घाट वाली मोरी बंद है।
हरिराम चौधरी, एइएन, जलदाय विभाग
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