ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशासन गांवों के संग शिविर से पहले एक्टिविटी
जिले के गांवों में प्रशासन गांवों के संग अभियान के तहत लगने वाले शिविरों के एक दिन पहले फोगिंग व एंटी लार्वा एक्टिविटी करवाई जा रही है। ऐसे में जिन गांवों में अभी शिविर नहीं लगे है या कुछ समय बाद लगेंगे। वहां पर एंटी लार्वा एक्टिविटी व फोगिंग नहीं होने के कारण मच्छर पनप रहे है। जो वायरल व डेंगू को आमंत्रण है।
जिले के गांवों में प्रशासन गांवों के संग अभियान के तहत लगने वाले शिविरों के एक दिन पहले फोगिंग व एंटी लार्वा एक्टिविटी करवाई जा रही है। ऐसे में जिन गांवों में अभी शिविर नहीं लगे है या कुछ समय बाद लगेंगे। वहां पर एंटी लार्वा एक्टिविटी व फोगिंग नहीं होने के कारण मच्छर पनप रहे है। जो वायरल व डेंगू को आमंत्रण है।
रेपिडएक्शन टीम बनाई
रेपिडएक्शन टीम का गठन किया है। सीएमएचओ की ओर से एंटी लार्वा एक्टिविटी इसके साथ चलती है। प्रदेश में पाली में सबसे कम केस है। अभी तक केवल 70 मरीज आए है। डेंगू के 4 मरीज भर्ती है। वायरल व अन्य बीमारियों के मिलाकर करीब 162 मरीज भर्ती है। –डॉ. रफीक कुरैशी, पीएमओ, बांगड़ चिकित्सालय, पाली
रेपिडएक्शन टीम का गठन किया है। सीएमएचओ की ओर से एंटी लार्वा एक्टिविटी इसके साथ चलती है। प्रदेश में पाली में सबसे कम केस है। अभी तक केवल 70 मरीज आए है। डेंगू के 4 मरीज भर्ती है। वायरल व अन्य बीमारियों के मिलाकर करीब 162 मरीज भर्ती है। –डॉ. रफीक कुरैशी, पीएमओ, बांगड़ चिकित्सालय, पाली
शहर में करवा रहे है फोगिंग
नगर परिषद की ओर से शहर में फोगिंग करवाई जा रही है। डेंगू के लार्वा को मारने के लिए पानी भराव वाले स्थलों पर जला हुआ ऑइल आदि डलवा रहे है। जिससे मच्छर नहीं पनपे। इसके साथ ही ऑडियो के माध्यम से भी लोगों को जागरूक किया जा रहा है। –ब्रिजेश रॉय, आयुक्त नगर, परिषद, पाली
नगर परिषद की ओर से शहर में फोगिंग करवाई जा रही है। डेंगू के लार्वा को मारने के लिए पानी भराव वाले स्थलों पर जला हुआ ऑइल आदि डलवा रहे है। जिससे मच्छर नहीं पनपे। इसके साथ ही ऑडियो के माध्यम से भी लोगों को जागरूक किया जा रहा है। –ब्रिजेश रॉय, आयुक्त नगर, परिषद, पाली
तीन तरह का होता है डेंगू बुखार
1. क्लासिकल (साधारण) डेंगू बुखार- इसमें मरीज को सर्दी लगती है। अचानक तेज बुखार आता है। सिर, मांसपेशियों व जोड़ों में दर्द होता है। आंखों के पिछले भाग में दर्द होता है, जो आंखों को दबाने या हिलाने पर बढ़ता है। इसमें अत्यधिक कमजोरी होती है। भूख में कमी आती है और जी मिचलाता है। मुंह का स्वाद खराब हो जाता है। गले में हल्का दर्द होता है। शरीर पर लाल रेशे हो जाते है। चेहरे, गर्दन व छाती पर विसरित दानों की तरह रेशे (ददोरे) हो जाते है। इस बुखार की अवधि पांच से सात दिन रहती है। इसके बाद रोगी ठीक हो जाता है। यह बुखार रोगी देखभाल करने पर घर ही ठीक हो जाता है।
1. क्लासिकल (साधारण) डेंगू बुखार- इसमें मरीज को सर्दी लगती है। अचानक तेज बुखार आता है। सिर, मांसपेशियों व जोड़ों में दर्द होता है। आंखों के पिछले भाग में दर्द होता है, जो आंखों को दबाने या हिलाने पर बढ़ता है। इसमें अत्यधिक कमजोरी होती है। भूख में कमी आती है और जी मिचलाता है। मुंह का स्वाद खराब हो जाता है। गले में हल्का दर्द होता है। शरीर पर लाल रेशे हो जाते है। चेहरे, गर्दन व छाती पर विसरित दानों की तरह रेशे (ददोरे) हो जाते है। इस बुखार की अवधि पांच से सात दिन रहती है। इसके बाद रोगी ठीक हो जाता है। यह बुखार रोगी देखभाल करने पर घर ही ठीक हो जाता है।
2. डेंगू हॅमरेजिक बुखार (डीएचएफ)- इसमें साधरण डेंगू बुखार के लक्षणों के साथ नाक, मुसड़ों से खून आता है। शौच या उल्टी में खून आता है। त्वचा पर गहरे नीले-काले रंग के छोटे या बड़े चकते पड़ जाते है।
3. डेंगू शॉक सिन्ड्रोम (डीएसएस)- इसमें डीएचएफ के लक्षणों के साथ रोगी बहुत बचैनी अनुभव करता है। तेज बुखार के बावजूद रोगी की त्वचा ठंडी महसूस होती है। रोगी धीरे-धीरे होश खोने लगता है। रोगी की नाड़ी तेज व कमजोर महसूस होती है। रोगी का रक्तचार (ब्लड प्रेशर) कम होने लगता है।