उपखण्ड़ मुख्यालय से छह किलोमीटर दूर दीपावास गांव से सटे लूनी बांध की भराव क्षमता 325.56 एमसीएफटी है। गेट के नीचे छह फीट पानी रहता है। जबकि बांध को छलकने के लिए गेज से 13.30 फीट आवक की जरूरत होती है। बांध का 140 एमसीएफटी पानी जलदाय विभाग को जलापूर्ति के लिए दिया जाता है। जो 18 गांवों में सप्लाई किया जाता है। वर्तमान में बांध में गेज पर 3.20 फीट पानी है। जलदाय विभाग को अब 95 एमसीएफटी पानी दिया जा चुका है।
क्षेत्र में सिंचाई विभाग के अधीन लूनी बांध सहित कुल तीन बांध हैं। उनमें गिरी नंदा बांध व बाबरा बांध शामिल है। इस बार सावन के महिने में गिरी नंदा बांध में ढाई फीट पानी की आवक हुई। जबकि बाबरा बांध प्यासा ही रह गया। इस तरह तीनों बांध में आज भी आवक की दरकार है।
लूनी बांध के छलकने के बाद ही नदियों के जरिए बांध का पानी आगे पहुंचता है। तब कहीं जाकर किसानों के कुंए रिचार्ज हो पाते हैं। इस बांध के छलकने का इंतजार रायपुर ही नहीं बल्कि दो दर्जन से भी अधिक गांवों के लोग कर रहे हैं। किसानों ने कुछ दिनों पहले इसी बांध की पाल पर जाकर हवन कर इन्द्रदेव को रिझाने का जतन किया था।
लूनी बांध में पूरे सावन में आवक नहीं हुई। कैचमेंट एरिया में अब तक अच्छी बारिश नहीं हुई है। जबकि पिछले साल तो आधा सावन बीतने पर ही बांध छलक गया था। लूनी बांध को छलकने में अभी दस फीट पानी की दरकार है। हमारे पास अब जलदाय विभाग को देने के लिए 45 एमसीएफटी पानी ही बचा है। –आरके. पुरोहित, एइएन, सिंचाई विभाग, रायपुर