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सिस्टम विकास के फेर में हो रही ‘अमृत’ की बर्बादी

locationपालीPublished: Oct 12, 2018 12:51:32 pm

Submitted by:

Suresh Hemnani

-जलदाय विभाग मांग रहा बावड़ी-खुद का बिजली कनेक्शन के अभाव में जता रहा असमर्थता-जलदाय विभाग ने ट्यूबवैल के लिए 2.50 लाख का प्रस्ताव भिजवाया

Wastage of water from negligence

सिस्टम विकास के फेर में हो रही ‘अमृत’ की बर्बादी

सादड़ी। इस वर्ष कम बारिश होने के कारण क्षेत्र में पेयजल संकट गहराया हुआ है दूसरी ओर क्षेत्र में स्थित ऐतिहासिक बावड़ी का पानी व्यर्थ बहाया जा रहा है। बावड़ी के संचालक पानी पेयजल के उपयोग के लिए देने के लिए तैयार हैं लेकिन जलदाय विभाग खुद के नाम से बिजली का कनेक्शन नहीं होने के कारण परेशानी बता रहा है। ऐसे में विभाग बावड़ी को नाम करने की बात कर रहा है और संचालक इसके लिए तैयार नहीं हैं। कस्बे में स्थित ताराचन्द स्मारक बावड़ी से नितरोज पानी व्यर्थ बहाया जा रहा है। बावड़ी में वर्तमान में करीब 35 फीट पानी है। संचालक द्वारा मोटर लगाकर पानी को व्यर्थ बहाया जा रहा है। हालांकि जलदाय विभाग ने इस पानी के नमूने लेकर जांच के लिए भिजवाए हैं, लेकिन बिजली का कनेक्शन खुद के नाम का नहीं होने के कारण इस पानी के उपयोग को लेकर असमर्थता जताई जा रही है। वहीं पेयजल उपयोग में लेने के लिए बावड़ी के संचालक पानी देने का तैयार हैं।
इधर, विभाग ने भेजा ट्यूबवैल का प्रस्ताव
बारिश कम होने से गर्मी में पेयजल संकट स्थितियों की सम्भावनाओं को भांपते हुए जयपुर चीफ इंजीनियर को ट्यूबवैल के लिए 2.50 लाख रुपए का प्रस्ताव भिजवाया है। जबकि यहां प्रतिदिन हजारों लीटर पानी व्यर्थ बहाया जा रहा है। विभाग यहां बिजली कनेक्शन व जलापूर्ति सिस्टम विकास को लेकर ताराचन्द स्मारक व बावड़ी सुपुर्दगी की बात कर रहा है। बावड़ी स्मारक संचालक मण्ड़ल विभाग को पानी देने में तैयार है। विभाग के कार्यावाहक सहायक अभियन्ता पवन शर्मा ने बताया कि उच्चाधिकारियों के निर्देश पर पानी से पल लेकर जांच को भेज दिए हैं। यहां पेयजलापूर्ति सिस्टम विकास से पूर्व ताराचन्दजी बावड़ी व स्मारक संचालक मण्ड़ल यह बावड़ी विभाग को सुपूर्द करें।
कभी पनघट हुआ करती थी बावड़ी
आखरिया चौक स्थित प्राचीन भामाशाह ताराचन्द कावेडिया स्मृति तारा बावड़ी कभी पनघट हुआ करती थी। अकाल की विभीषिका में इसका पानी खत्म हो गया। कुछ वर्षो पूर्व एक बार फिर इसमें पानी की आवक शुरू हुई। 70 फीट गहरी बावड़ी में आज करीब 30-35 फीट पानी है। बेकार पड़ा पानी खराब नहीं हो इसकी आशंका में बावड़ी संचालक नितरोज 5 हार्सपावर की मशीन लगाकर बहा रहे हैं। यह बावड़ी क्षेत्र के लिए जलापूर्ति का स्रोत बन सकती है। इस वर्ष बारिश कम होने से पेयजल स्रोत नलवाणिया बान्ध खाली एवं राणकपुर/सादड़ी बान्ध में मात्र 10-11 माह पेयजलापूर्ति जितना ही पानी है।
नमूने लैब भिजवाए हैं
बावडी से पेयजल नमूने लेकर जांच के लिए लैब में भिजवाए हैं। जांच रिपोर्ट आनी है। उच्चाधिकारियों से चर्चा की तो उन्होंने सिस्टम विकास से पूर्व संचालक मण्डल से बावड़ी सुपुर्दगी कराने की बात बतलाई। क्षेत्र में कम बारिश व पेयजल स्रोत खाली रहने व गर्मी में पेयजलापूर्ति हालात विकट होने की स भावनाओं के मध्यनजर तत्कालीन एईएन ने मुख्य अभियन्ता को टयूबवैल निर्माण की वित्तीय व प्रशासनिक स्वीकृति के लिए मांग पत्र भेजा है। -पवन शर्मा, कनिष्ठ अभियन्ता, सादड़ी
अस्थाई कनेक्शन ले सकते हैं
ऐतिहासिक ताराचन्द स्मारक मन्दिर बावड़ी संरक्षण को लेकर संचालक मण्ड़ल प्रतिवर्ष लाखों रुपए खर्च करता है। विभाग संरक्षण पर खर्च नहीं कर पाएगा। संचालक मण्ड़ल पेयजलापूर्ति के लिए पानी देने को तैयार है। जलदाय विभाग अस्थाई विद्युत कनेक्शन लेकर बावडी का पानी पीने के उपयोग में ले सकता है। पानी खराब नहीं है। -मो. बाबू भाई, थानसिंह चावड़ा, हरिभाई मेवाड़ा, श्याम सैन, शकील छीपा, ग्रामीण, सादड़ी

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