बाणियावास नहीं होता तो गहरा जाता संकट पाली में इस बार बाणियावास संकट मोचक बना है। इस बांध में आए पानी को किसानों ने पूरा पेयजल के लिए दे दिया था। इस पर जलदाय विभाग ने कंटीजेंसी प्लान में वहां से जाडन तक पाइप लाइन बिछाई और पाली शहर के लिए जलापूर्ति शुरू की। इस कारण अभी तक जल संकट नहीं आया है। अब विभाग इस बांध के सीपेज को रोकने के साथ ही पानी का अधिक से अधिक उपयोग करने की योजना पर कार्य कर रहा है।
जिले में खुदेंगे 70 से अधिक ट्यूबवेल बांधों में पानी नहीं होने के कारण भूजल का उपयोग करने की कवायद जारी है। इसके तहत सोजत व जैतारण क्षेत्र में कंटीजेंसी प्लान के तहत 70 ट्यूबवेल व 8 ओपन वेल खोदे जा रहे है। उन पर पाइप लाइन व पम्प आदि लगाए जा रहे है। इसके अलावा 65 से अधिक पुरानी जलस्रोतों का पानी उपयोग में लेने की कवायद भी की जा रही है। पाली क्षेत्र के लिए भी कंटीजेंसी प्लान के तहत पुराने जलस्रोतों व नए ट्यूबवेल आदि का कार्य किया जा रहा है।
लोगों को समझना चाहिए मोल
आमजन को पानी का मोल समझना चाहिए। पानी का मितव्ययता से उपयोग करने पर ही बरसात आने तक पानी की किल्लत से बचा जा सकता है। विभाग की ओर से पेयजल संकट नहीं आए, इसके लिए पूरे प्रयास किए जा रहे है। स्थानीय जलस्रोतों से भी जलापूर्ति की जाएगी।
मनीष माथुर, अधीक्षण अभियंता, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग, पाली
आमजन को पानी का मोल समझना चाहिए। पानी का मितव्ययता से उपयोग करने पर ही बरसात आने तक पानी की किल्लत से बचा जा सकता है। विभाग की ओर से पेयजल संकट नहीं आए, इसके लिए पूरे प्रयास किए जा रहे है। स्थानीय जलस्रोतों से भी जलापूर्ति की जाएगी।
मनीष माथुर, अधीक्षण अभियंता, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग, पाली