जानकारी के अनुसार जल संसाधनों के बेहतर प्रबंधन, संचालन व उपयोग के लिए व्यापक स्तर पर बदलाव किया जा रहा है। प्रदेश में बारिश की सूचना, नदियों में जल प्रवाह, बांधों में जलभराव व भूजल की स्थिति की जानकारी तत्काल उपलब्ध करवाने के लिए विभाग इस योजना के तहत कार्य कर रहा है। जल संसाधन विभाग पाली जिले के जवाईबांध में पानी आने का प्रमुख स्रोत बेडा नदी के अलावा बनास, चंबल, लूनी, माही, सोम, बाणगंगा, बेरच, खारी, गंभीर व पार्वती नदी किनारे भी ऑटोमैटेड वॉटर लेवल रिकॉर्डर कैमरे लगाएगा। जिससे नदी में जलप्रवाह की स्थिति व बांध तक पानी पहुंचने का समय पता चल सकेगा।
अब ऑटोमेटिक खुलेंगे गेट, सभी 13 गेट पर लगेंगे कैमरे
राज्य सरकार ने जवाईबांध के लिए सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डाटा एक्यूजिशन सिस्टम यानी स्काडा योजना के तहत 2.25 करोड़ की वित्तीय एवं प्रशासनिक स्वीकृति जारी की है। इसके तहत 1.68 करोड़ की लागत के टेंडर भी जारी कर दिए हैं। इस राशि से जवाईबंाध मुख्य नहर भाग, हवामहल, सभी 13 गेटों के अलावा बेडा नदी पर ऑटोमैटेड वॉटर लेवल रिकॉर्डर कैमरे लगेंगे। नदी का जल स्तर व बांध तक पानी के पहुंचने में लगने वाले समय का पता पहले ही चल जाएगा। हवामहल क्षेत्र में हर साल होने वाली अकाल मौतों पर अंकुश लग सकेगा। पुलिस जांच में सहायता मिलेगी। एक कंट्रोल पैनल से मुख्य कंट्रोल रूम जुड़ेगा। गेट खुलने पर पानी की निकासी पर सीधी नजर रहेगी। कितना पानी छोड़ा और कितना शेष रहा। इसकी ऑनलाइन जानकारी रहेगी।
राज्य सरकार ने जवाईबांध के लिए सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डाटा एक्यूजिशन सिस्टम यानी स्काडा योजना के तहत 2.25 करोड़ की वित्तीय एवं प्रशासनिक स्वीकृति जारी की है। इसके तहत 1.68 करोड़ की लागत के टेंडर भी जारी कर दिए हैं। इस राशि से जवाईबंाध मुख्य नहर भाग, हवामहल, सभी 13 गेटों के अलावा बेडा नदी पर ऑटोमैटेड वॉटर लेवल रिकॉर्डर कैमरे लगेंगे। नदी का जल स्तर व बांध तक पानी के पहुंचने में लगने वाले समय का पता पहले ही चल जाएगा। हवामहल क्षेत्र में हर साल होने वाली अकाल मौतों पर अंकुश लग सकेगा। पुलिस जांच में सहायता मिलेगी। एक कंट्रोल पैनल से मुख्य कंट्रोल रूम जुड़ेगा। गेट खुलने पर पानी की निकासी पर सीधी नजर रहेगी। कितना पानी छोड़ा और कितना शेष रहा। इसकी ऑनलाइन जानकारी रहेगी।
ऐसे काम करेगा सिस्टम
इनसैट उपग्रह प्रणाली और जीपीआरएस टेलीमेट्री के उपयोग से डेटा कंट्रोल रूम में आएंगे। जल संसाधन विभाग अब नेशनल वॉटर इन्फारमेटिक सेंटर के सहयोग से इंटीग्रेटेड वॉटर एंड क्रॉप इन्फार्मेशन एंड मैनेजमेंट सिस्टम विकसित कर रहा है। इससे डिजिटल प्लेटफार्म पर सतही जल, भूजल व कृषि से संबंधित सूचनाएं एक ही प्लेटफार्म पर मिल सकेंगी।
इनसैट उपग्रह प्रणाली और जीपीआरएस टेलीमेट्री के उपयोग से डेटा कंट्रोल रूम में आएंगे। जल संसाधन विभाग अब नेशनल वॉटर इन्फारमेटिक सेंटर के सहयोग से इंटीग्रेटेड वॉटर एंड क्रॉप इन्फार्मेशन एंड मैनेजमेंट सिस्टम विकसित कर रहा है। इससे डिजिटल प्लेटफार्म पर सतही जल, भूजल व कृषि से संबंधित सूचनाएं एक ही प्लेटफार्म पर मिल सकेंगी।
अधिकारी का कहना है
स्काडा योजना के तहत जवाई बांध के लिए 2.25 करोड़ की राशि स्वीकृत हुई है। इसके लिए विभाग ने 1.65 करोड़ की लागत मानते हुए टेंडर भी जारी कर दिए हैं। शीघ्र ही इस महत्वपूर्ण योजना को अमल में लाया जाएगा। लेपटॉप पर भी इसकी जानकारी व गेट ऑपरेट हो सकेंगे। बेडा नदी, मुख्य जवाई नहर, हवामहल के अलावा सभी 13 गेटों पर भी कैमरे लगेंगे। –चन्द्रवीरसिंह उदावत, अधिशासी अभियंता, जल संसाधन विभाग कार्यालय, सुमेरपुर
स्काडा योजना के तहत जवाई बांध के लिए 2.25 करोड़ की राशि स्वीकृत हुई है। इसके लिए विभाग ने 1.65 करोड़ की लागत मानते हुए टेंडर भी जारी कर दिए हैं। शीघ्र ही इस महत्वपूर्ण योजना को अमल में लाया जाएगा। लेपटॉप पर भी इसकी जानकारी व गेट ऑपरेट हो सकेंगे। बेडा नदी, मुख्य जवाई नहर, हवामहल के अलावा सभी 13 गेटों पर भी कैमरे लगेंगे। –चन्द्रवीरसिंह उदावत, अधिशासी अभियंता, जल संसाधन विभाग कार्यालय, सुमेरपुर