एससी एसटी एक्ट में संशोधन के विरोध में लोगो ने स्वेच्छिक बंद रखा। आम लोगो को जरूरी सामान के भी लाले पड़ गए। यहां तक की दवाईयों की दूकानें और पेट्रोल पंप मालिको ने भी अपने प्रतिष्ठान समर्थन में बंद रखे। हालांकि समता आंदोलन ने इसकी अगुवाई की मगर लोगो के स्वयं ही आगे आने से उनका काम हल्का हो गया। निजी स्कूल और सरकारी स्कूल भी बंद रहे।
एससी एसटी एक्ट में संशोधन के विरोध में लोगो ने स्वेच्छिक बंद रखा। आम लोगो को जरूरी सामान के भी लाले पड़ गए। यहां तक की दवाईयों की दूकानें और पेट्रोल पंप मालिको ने भी अपने प्रतिष्ठान समर्थन में बंद रखे। हालांकि समता आंदोलन ने इसकी अगुवाई की मगर लोगो के स्वयं ही आगे आने से उनका काम हल्का हो गया। निजी स्कूल और सरकारी स्कूल भी बंद रहे।
एससी एसटी एक्ट में संशोधन के विरोध में लोगो ने स्वेच्छिक बंद रखा। आम लोगो को जरूरी सामान के भी लाले पड़ गए। यहां तक की दवाईयों की दूकानें और पेट्रोल पंप मालिको ने भी अपने प्रतिष्ठान समर्थन में बंद रखे। हालांकि समता आंदोलन ने इसकी अगुवाई की मगर लोगो के स्वयं ही आगे आने से उनका काम हल्का हो गया। निजी स्कूल और सरकारी स्कूल भी बंद रहे।
एससी एसटी एक्ट में संशोधन के विरोध में लोगो ने स्वेच्छिक बंद रखा। आम लोगो को जरूरी सामान के भी लाले पड़ गए। यहां तक की दवाईयों की दूकानें और पेट्रोल पंप मालिको ने भी अपने प्रतिष्ठान समर्थन में बंद रखे। हालांकि समता आंदोलन ने इसकी अगुवाई की मगर लोगो के स्वयं ही आगे आने से उनका काम हल्का हो गया। निजी स्कूल और सरकारी स्कूल भी बंद रहे।
एससी एसटी एक्ट में संशोधन के विरोध में लोगो ने स्वेच्छिक बंद रखा। आम लोगो को जरूरी सामान के भी लाले पड़ गए। यहां तक की दवाईयों की दूकानें और पेट्रोल पंप मालिको ने भी अपने प्रतिष्ठान समर्थन में बंद रखे। हालांकि समता आंदोलन ने इसकी अगुवाई की मगर लोगो के स्वयं ही आगे आने से उनका काम हल्का हो गया। निजी स्कूल और सरकारी स्कूल भी बंद रहे।