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193 करोड़ के घाटे में धंस चुके रोडवेज के पहिए

locationपालीPublished: Dec 08, 2017 01:15:08 pm

Submitted by:

Avinash Kewaliya

– प्रदेश के 52 डिपो में अक्टूबर तक ही बढ़ गई करोड़ों रुपए की राजस्व हानि
– पिछले साल से बढ़ गई 65 करोड़ की राशि
 

Roadways
पाली

राज्य में 52 डिपो के मार्फत 4700 बसों का संचालन। रोजाना साढ़े नौ लाख से अधिक यात्रियों को गंतव्य तक पहुंचाने का जिम्मा और 180000 किलोमीटर लम्बी सड़कें नापने वाली रोडवेज की बसों के पहिए गहरे घाटे के दलदल में धंस रही हैं। अफसर और जनप्रतिनिधि तात्कालिक रूप से जमीनें बेचकर घाटे की पूर्ति करने की बयानबाजियों में व्यस्त हैं, जबकि घाटे को कम करने के उपायों पर कोई सोच तक नहीं रहा। हालत यह है कि राजस्थान स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन प्रोगेसिव तौर पर अब तक 19328.35 लाख की राजस्व हानि उठा चुका हैं। पिछले साल इसी महीने तक यह घाटा 18672.02 लाख था।
यह है घाटे के प्रमुख कारण

-अनुबंधित बसों का बढ़ता संचालन।

-कार्मिकों की तनख्वाह व रिटायर्ड कर्मियों की पेंशन का बढ़ता बोझ।

-परिवहन लागत में बढ़ोतरी और राजस्व अर्जन में कमी।
-रूट पर निजी वाहनों से मिल रही प्रतिस्पर्धा के कारण यात्रियों में कमी।

-सरकारी योजनाओं व रियायती यात्रा राशि के पुनर्भरण में देरी।

मुख्यालय ही दे रहा सबसे ज्यादा दर्द

रोडवेज के बेड़े में सबसे ज्यादा बसों का संचालन जयपुर के सिन्धी कैम्प बस स्टैण्ड से होता हैं। यहीं रोडवेज का मुख्यालय भी है। इस आगार में प्रोगेसिव घाटा चार अंकों यानी 1121.31 लाख तक पहुंच चुका हैं। प्रदेश के सिर्फ तीन डिपो ऐसे हैं, जहां राजस्व हानि दो अंकों में चल रही है, जबकि शेष सभी डिपो तीन अंकों के घाटे में रोडवेज की बसें दौड़ा रहे हैं। भीलवाड़ा में 74.93, करौली में 78.51 और मत्स्यनगर आगार में प्रोगेसिव घाटा 37.39 लाख आंका गया है।
अब पड़ेगी सातवें वेतन आयोग की मार

रोडवेज के सभी डिपो में अनुबंधित बसों का जाल बढ़ रहा हैं। इसके अलावा लगभग 18 हजार कर्मचारियों की तनख्वाह और रिटायर्ड कर्मचारियों की पेंशन पर भी हर महीने बड़ी राशि खर्च की जा रही हैं। अवैध वाहनों से मिल रही राजस्व चुनौती के साथ अब सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें मंजूर होने के बाद इस वित्तीय बोझ में अधिक इजाफा हो सकता है।
घाटा कम करने का कर रहे उपाय

इस साल मार्च से नवम्बर तक प्रोगेसिव घाटा 193 करोड़ रुपए का हैं। इसे कम करने के उपायों पर चर्चा चल रही है। वैसे, कार्मिकों की तनख्वाह पर सर्वाधिक राशि हर महीने खर्च होती हैं।
-गोपाल विजय, फाइनेंशियल एडवाइजर, रोडवेज

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