प्रत्यक्षदर्शी की जुबानी
दोपहर करीब एक बजे मैं बांगड़ अस्पताल पहुंचा तो एक एम्बुलेंस में महिलाएं ऑक्सीजन के लिए चिल्ला रही थी। मैंने उनसे बात की। वे सिरोही से आईं थी। एम्बुलेंस में एक महिला बीमारी थी। वह तड़प रही थी। मैंने भी अस्पतालकर्मियों को ऑक्सीजन की व्यवस्था करने के लिए कहा। करीब आधे घंटे बाद अस्पतालकर्मी ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर पहुंचे। महिला को ऑक्सीजन भी दी गई, लेकिन चिकित्सक ने मृत घोषित कर दिया। परिजन रोते-चिल्लाते एम्बुलेंस लेकर लौट गए। –मेहबूब टी, पार्षद
दोपहर करीब एक बजे मैं बांगड़ अस्पताल पहुंचा तो एक एम्बुलेंस में महिलाएं ऑक्सीजन के लिए चिल्ला रही थी। मैंने उनसे बात की। वे सिरोही से आईं थी। एम्बुलेंस में एक महिला बीमारी थी। वह तड़प रही थी। मैंने भी अस्पतालकर्मियों को ऑक्सीजन की व्यवस्था करने के लिए कहा। करीब आधे घंटे बाद अस्पतालकर्मी ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर पहुंचे। महिला को ऑक्सीजन भी दी गई, लेकिन चिकित्सक ने मृत घोषित कर दिया। परिजन रोते-चिल्लाते एम्बुलेंस लेकर लौट गए। –मेहबूब टी, पार्षद