इसी धारणा को मानते हुए शोक जरूर हुआ, लेकिन विलाप नहीं किया गया। उन्होंने बताया कि मृत्यु भोज को भी बढ़ावा नहीं दिया जाएगा। महिलाओं के शव यात्रा में शामिल होकर श्मशान जाने से भी पुरानी परम्परा को तोड़ा गया। शव यात्रा में रामेश्वर दास, ऋतुराज, सोहन दास चुंडावत, गोविंद दास, विजय सिंह दास, सूरज दास व मंगलाराम के साथ मृतक के परिजन शामिल थे।