पाली में रक्तदान करने तो लोग स्वैच्छा से आते हैं, लेकिन करीब 50 संस्थाएं जिले में ऐसी है, जो लोगों को इसके लिए प्रेरित कर रक्तदान करवाती है। ये संस्थाएं पाली शहर के साथ जिले के अलग-अलग क्षेत्रों में साल में दो से चार बार तक शिविरों का आयोजन करवाकर रक्तदान कराती है।
पाली में रक्तदान के लिए नवम्बर 2019 में एसी बस मिली। जिसमें रक्तदाताओं के लिए दो कुर्सी लगी है। रक्त यूनिट रखने के लिए फ्रीज है। चिकित्सक के लिए टेबल लगी है। इससे पहले कार्मिकों व उपकरण ले जाने के लिए केवल वेन थी। ऐसे में रक्तदाताओं से किसी भवन परिसर में रक्तदान करवाना पड़ता था। अब बस में ही रक्तदान करवाकर सुरक्षित यूनिट ब्लड बैंक तक लाए जाते हैं।
रक्तदान करने वाले के शरीर में खून की मात्रा की पूर्ति 24 घंटे में हो जाती है। कोशिकीय भाग की पूर्ति एक से दो माह के भीतर शरीर पूरी कर लेता है। रक्तदान करने से शरीर की रक्तप्रतिरोधक क्षमता व कार्यक्षमता भी बढ़ती है। –डॉ. मांगीलाल सीरवी, प्रभारी, ब्लड बैंक पाली
ब्लड बैंक का कार्य 1987 में संभाला। उस समय लोग रक्तदान करने से कतराते थे। उनको काफी प्रेरित करना पड़ता था। सुविधाएं भी कम थी। इसके बाद लोग प्रेरित होना शुरू हुए तो पाली ब्लड के मामले में अग्रिणी हो गया। –डॉ. प्रवीण जैन, पूर्व ब्लड बैंक प्रभारी, पाली
मैंने 1995 से रक्तदान कर रहा और करवा रहा हूं। अब तक 70 बार रक्त दिया है। पहले मैं सिरिंज आदि जेब में रखता था। जिससे तुरन्त व्यक्ति का सेम्पल लेकर उसके समूह की जांच करवाकर उसे प्रोत्साहित कर रक्त लिया जा सके। अभी भी मुझे बहुत सारे लोगों के रक्त समूह पता है। जिनको जरूरत होने पर तुरन्त रक्तदान के लिए बुला लेते है। पाली के अलावा प्रदेश के किसी भी अस्पताल में रक्त की जरूरत होने पर भी पूरी करवाने का पूरा प्रयास करते हैं। पाली में कई लोग ऐसे है, जो 50 बार से अधिक रक्तदान कर चुके हैं और आज भी कर रहे हैं। –मेहबूब कबाड़ी, रक्तदाता व प्रेरक
पाली में कोरोना की पहली लहर आने पर प्लाज्मा लेने की कोई व्यवस्था नहीं थी। उस समय प्लाज्मा दान करने के लिए पाली के लोगों को जोधपुर भेजा जाता था। इसके बाद प्लाज्मा लेने की मशीन लगी तो प्लाज्मा डोनेट करने वाले भी स्वयं आ गए। पाली में अब तक 56 प्लाज्मा दान हो चुके हैं। इसमें युवतियों व महिलाएं भी शामिल है।
पाली में रक्तदान करने वालों में केवल आमजन ही तत्पर नहीं है। पाली के विधायक ज्ञानचंद पारख खुद 82 बार रक्तदान कर चुके हैं। वे कहते हैं कि 19 वर्ष की आयु में पिता की प्रेरणा से पहली बार रक्तदान किया। मेरे साथ कॉलेज के मित्र थे। उनको भी रक्तदान के लिए प्रेरित किया। इस तरह स्वयं रक्तदान करने के पहले ही साल में लोगों को प्रेरित कर 1000 यूनिट रक्तदान कराया। पहले खुद ही लोगों के पास जाकर उनको रक्तदान के लिए प्रेरित करता था। आज मेरे साथ जुड़े साथी इसमें मेरा सहयोग करते हैं।
विधायक पारख का कहते हैं कि कोरोना की पहली लहर के समय प्लाज्मा की सुविधा पाली में नहीं थी। इस पर जोधपुर एम्स में प्लाज्मा डोनेट करवाए। वहां पर 50 से अधिक प्लाज्मा डोनेट करवाए। प्जाज्मा की जरूरत पडऩे पर जयपुर व उदयपुर तक भेजे। पाली में सुविधा नहीं होने से यहां से डोनर को पहले जोधपुर ही भेजते थे।
पाली के रहने वाले किशोर सोमनानी ने जोधपुर जाकर कोरोना की पहली लहर में सबसे पहले प्लाज्मा दान किया था। इसके बाद उन्होंने पाली में भी एक बार प्लाज्मा का दान किया। वे अब तक पिछले दस साल में करीब 20 बार रक्तदान भी कर चुके हैं।
-रक्तदान करने वाले लोगों में हृदयघात (हार्ट अटैक) की संभावना 33 प्रतिशत कम हो जाती है।
-रक्तदान से कैंसर की आशंका कम हो जाती है।
-रक्तदाता के शरीर में कलेक्ट्रोल की मात्रा कम होती है।
-वजन कम करने वालों के लिए रक्तदान करना फायदेमंद है।
-एक बार रक्तदान करने पर करीब 650 कैलोरी खर्च होती है।
-रक्तदान करने से शरीर में जरूरत से ज्यादा आयरन की मात्रा कम हो जाती है। शरीर में बहुत ज्यादा आयरन होना रक्तवानियों के लिए नुकसानदेह माना जाता है।
-जिले में थैलेसिमिया के 40 बच्चों को हर पन्द्रह दिन में
-एचआईवी (पीएलएचए) के मरीजों को
-डायलसिस के करीब 40-50 मरीजों को हर माह
-कैंसर के मरीजों को
-गायनिक व दुर्घटना आदि जीवन बचाने वाली स्थिति में
-एनिमिया के मरीजों को
पाली में पांच ब्लड स्टोरेज यूनिट है। इनमें सीएचसी सादड़ी, बाली, सुमेरपुर, जैतारण व निमाज शामिल है। इन जगहों पर पाली से कई बार ब्लड भेजा जाता है। सोजत के चिकित्सालय में ब्लड बैंक है। रानी में ब्लड यूनिट निर्माणाधीन है।
रक्त को 35 दिन तक सामान्य स्थिति में सुरक्षित रखा जा सकता है। पाली में यों तो करीब 1300 यूनिट रक्त का स्टोरेज किया जा सकता है, लेकिन रक्त खराब नहीं हो। इसका ख्याल रखते हुए मात्रा कम रखी जाती है। रक्त में से आरबीसी निकालकर उसमें सेगम मिलाने पर उसकी अवधि 7 दिन बढ़ जाती है। प्लाज्मा निकालने के बाद उसे तय तापमान पर एक वर्ष तक रखा जा सकता है। खून से प्लेटलेट्स अलग कर उसे 5 दिन रखा जा सकता है। रक्त के इन तीनों अवयवों से तीन लोगों का जीवन बचाया जा सकता है।
कोरोना काल में : 20-25 यूनिट रोजाना
सामान्य दिनों में : 30-35 यूनिट रोजाना रक्तदान करने पर यह जांचे करता है ब्लड बैंक
-एचआइवी
-एचबीएसएजी व एचसीवी (हेपेटाइटिस बी व सी)
-एमपी (मलेरिया)
-सिपलिस (वीडीआरएल)
जनवरी : 204
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