-बिजनेस मैन से बन गए योग गुरु
पाली के रहने वाले नरेन्द्र माछर बजनेस मैन है। वे वर्ष 2010 में योग गुरु के सम्पर्क में आए और उसके बाद उनके जीवन में बदलाव आया। वे बताते हैं कि योग का प्रशिक्षण लेने के बाद उन्होंने पत्नी के साथ घर पर ही योगाभ्यास शुरू किया। पत्नी उषा माछर को साइरस की बीमारी में काफी लाभ हुआ। इसके बाद वे योग में पारंगत हुए और वर्ष 2014 से डिस्ट्रिक्ट क्लब में योग की नियमित कक्षा लेना शुरू किया। यह क्रम आज भी जारी है। इसके अलावा वे शहर के अलग-अलग स्थानों पर भी योग की कक्षा लेते हैं। रणकपुर महोत्सव में उन्होंने विदेशी सैलानियों को योगाभ्यास करवाया। कोविड काल में पोस्ट कोविड के मरीजों को ऑनलाइन नियमित श्वास की क्रियाएं करना सिखाया। जिसका उनको लाभ हुआ। उनको जिला प्रशासन की ओर से योग में सेवाओं के लिए जिला स्तर पर सम्मानित भी किया गया।
योग गुरु अम्बालाल सोलंकी बताते हैं कि उन्होंने करीब पन्द्रह साल पहले योग करना शुरू किया। इसमें पारंगत होने पर योग सिखाना शुरू किया। यह क्रम आज भी बांगड़ कॉलेज में नि:शुल्क अनवरत चालू है। वे बताते है कि पहले कभी-कभी लाखोटिया में योग करने जाता था। इसके बाद वर्ष 2010 में योग गुरु बाबा रामदेव के सम्पर्क में आया और नियमित योगाभ्यास शुरू किया और सिखाना भी। इसी का परिणाम है कि आज 72 साल की उम्र में भी पूर्ण स्वस्थ हूं।
योग गुरु विजयराज सोनी बताते है कि आज से 20 वर्ष पहले वे लाखोटिया मॉर्निंग वॉक के लिए जाते थे। इसके बाद बाबा रामदेव को देखकर योग शुरू किया। शिविर में जाकर योगा का पूर्ण ज्ञान प्राप्त किया। योग करने से उनकी कब्ज, गैस, एसिडिटी की समस्या खत्म हुई। शरीर में लचीलापन आया। हृदय रोग का उपचार कराने के बावजूद अभी कोई दवा लेने की जरूरत नहीं पड़ रही है। बीपी की गोली भी बंद हो गई। अब रोजाना योग की कक्षा लेते हैं। वे बताते है कि दो वर्ष पहले राजस्थान सरकार से उनको योग के लिए प्रमाण पत्र भी मिला है।
योग गुरु हंसराज खत्री का कहना है कि उनको बचपन से अस्थमा की बीमारी थी। जीवन के 35 बसंत देखने तक उन्होंने बीमारी के उपचार के लिए हर तरह की दवा का उपयोग किया। वर्ष 2000 में पाली में लगे एक योग शिविर में भाग लिया। वहां छह दिन तक योगाभ्यास करने के बाद ही अस्थमा में फर्क लगा। इस पर नियमित योग करना शुरू किया। इसके बाद तीन साल तक योग क्रियाएं करने के बाद बैंगलूरु में प्रशिक्षक का कोर्स किया और लोगों को योगाभ्यास करवाना शुरू कर दिया। योग करने से उनका बीस किलो वजन कम हो गया। आयुष मंत्रालय भारत सरकार की ओर से उनको प्रमाणित प्रशिक्षक बनाया गया है।
-तीन वर्ष रूस में कराया योग
पाली की रहने वाली व हाल जोधपुर में निवास कर रही कीर्ति चौरडिय़ा तीन वर्ष तक भारत सरकार की ओर से रूस में योगाभ्यास करवाकर आई है। उन्होंने वहां पर तीन साल तक योग दिवस भी मनाया। वे बताती है कि उनके पिता मुम्बई में रहते थे। वहां वे व्यायाम तो रोजाना करती थी। योग के बारे में भी पिता की पुस्तकों से जानकारी ली। घर पर योग करती थी, लेकिन पाली आने पर योग का प्रशिक्षण लिया। इसके बाद क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया की परीक्षा दी। उसमें उत्तीर्ण होने पर उनको तीन साल के लिए योग व संस्कृति का प्रसार करने रूस भेजा गया। वहां से वे हाल ही में लौटी है।
अमरीका में रहने वाली पाली निवासी कुणाल मुथा कोरोना की पहली लहर में पाली आए थे। यहां उन्होंने चार माह तक डिस्ट्रिक्ट क्लब में योग की कक्षा ज्वाइन की। इससे शरीर में स्फूर्ति आई। इसके बाद अमरीका लौट गए। वहां पर पहले तो स्वयं ही घर में योगाभ्यास करते थे। उनके शरीर के लचीलेपन व स्फूर्ति को देखकर उनके अमरीकन मित्रों ने पूछा तो उन्होंने योग के बारे में बताया। इसके बाद उन्होंने भी योग सीखने की ख्याइश जताई। कोरोना के कारण वे खुले में तो योगाभ्यास नहीं करा सके, लेकिन ऑनलाइन योग की मुद्राएं बताकर योगाभ्यास करवा रहे हैं।
पाली की रहने वाली हेमलता जैतावत पुत्री शिवजीसिंह जैतावत जापान में रहती है। उन्होंने भारत आने पर पाली में ही योग का प्रशिक्षण लिया था। इससे वह अधिक एक्टिव हो गई तो उन्होंने उसे जीवन का हिस्सा बना लिया। वे कहती है कि जापान जाने के बावजूद वे रोजाना योगाभ्यास करती है। गर्भावस्था के समय योग करने से उनको काफी लाभ हुआ। वे जापान में भी लोगों को इसके लिए प्रेरित करती है। इसके लिए अब वे पूर्ण प्रशिक्षण प्राप्त कर डिग्री लेकर वहां योग कक्षाएं लेने का मानस बना रही है।
-बीस किलो कम हो गया वजन
पाली निवासी बाबूलाल अग्रवाल बताते है कि योग शुरू करने से पहले उनका वजन करीब 94 किलो था। चलने-फिरने तक में दिक्कत होती थी। इसके बाद योग शुरू तो जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार हुआ। वजन भी करीब 20 किलो तक कम हो गया। जीवन पूरी से तरह से बदल गया। शरीर लचीला होने के साथ स्फूर्तिवान हो गया। कार्य क्षमता भी काफी बढ़ गई। इस कारण वे अब हर किसी को योगाभ्यास करने के लिए प्रेरित करते हैं।
पाली में न्यायाधीश बरकत अली रोजाना योगाभ्यास करते है। उन्होंने शाकाहार अपना लिया है। वे बताते है कि योग तो काफी समय से कर रहा हूं, लेकिन पाली आने के बाद वर्ष 2018 से नियमित योगाभ्यास कर रहा हूं। इससे मेरी बीपी की बीमारी में काफी लाभ हुआ। मेरा पूरा स्टाफ कोविड संक्रमित हुआ, लेकिन योग के कमाल से मैं स्वस्थ रहा। वे रोजाना सूर्य नमस्कार, भस्तिका सहित 26 क्रियाएं डेढ़ घंटे तक करते हैं। उनका वजन भी करीब छह से सात किलो कम हुआ है।
पाली निवासी उषा कंवर कोरोना की पहली लहर में कोविड पॉजिटिव हुई। उस समय उनका ऑक्सीजन लेवल व पल्स बहुत कम हो गए। अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान ही उन्होंने कपाल भाती व अनुलोम-विलोम का अभ्यास शुरू किया। इससे लाभ हुआ तो योग की अन्य क्रियाए करना शुरू की। इससे शरीर में बदलाव आए। वे खुद को अधिक स्फूर्तिवान महसूस करने लगी। वे कहती है कि अब तो उनके साथ परिवार के सभी सदस्य भी नियमित योग करते हैं।
-शरीर का वजन कम होना शुरू होता है
-शरीर में लचीलापन आता है
-प्राणायाम करने से ऑक्सीजन लेवल बढ़ता है
-कार्य करने के प्रति रुझान बढ़ता है और कार्यक्षमता में बढ़ोतरी होती है
-माइग्रेन, सिरदर्द, अनिद्रा आदि तकलीफ दूर होती है
-इम्यूनिटी बढ़ती है