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आप हो जाएंगे हैरान…ये शहर नहीं मवेशियों का बाड़ा है

locationपालीPublished: May 02, 2019 11:13:41 pm

Submitted by:

Rajeev

सालों बाद भी समाधान की दिशा में नहीं उठा पाए कदम
साढ़े चार साल बाद भी नगर परिषद ‘असहाय’, शहरवासियों का एक ही सवाल…
बेसहारा मवेशी शहर के लिए बन गए प्रमुख समस्या
 

pali patrika

आप हो जाएंगे हैरान…ये शहर नहीं मवेशियों का बाड़ा है

पाली . शहर की मुख्य सडक़ों व गली-मोहल्लों में विचरण कर रहे मवेशी शहरवासियों के लिए आफत बने हुए हैं। आए दिन इनकी चपेट में आकर कोई न कोई अस्पताल पहुंच रहा है। एक दिन पहले जो घटनाक्रम हुआ, वो किसी से छिपा नहीं है। लेकिन, जिम्मेदार नगर परिषद प्रशासन है कि जानकर भी अनजान बना हुआ है। कुछ माह बाद नवम्बर में नगर परिषद में भाजपा बोर्ड का कार्यकाल पूर्ण हो जाएगा, लेकिन शहर की इस प्रमुख समस्या के समाधान के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। जबकि, सभापति का पद ग्रहण करते समय महेन्द्र बोहरा ने मवेशियों की समस्या से शहरवासियों को निजात दिलाने के लिए प्रभावी कार्रवाई का आश्वासन दिया था। इतना ही नहीं, जिला प्रशासन भी समय-समय पर नगर परिषद को चेता चुका है। फिर भी जिम्मेदार टस से मस तक तक नहीं हुए। ऐसे में शहरवासियों का एक ही सवाल है कि आखिर जान के लिए आफत बन चुके इन मवेशियों से निजात कब मिलेगी।
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तीन-तीन जिला कलक्टर के निर्देश बेअसर : नगर परिषद आयुक्त है कि मानते ही नहीं

पाली के पूर्व जिला कलक्टर नीरज के पवन के साथ ही अम्बरीष कुमार व कुमारपाल गौतम ने अपने कार्यकाल के दौरान शहर की सडक़ों पर मवेशियों को विचरण करते देख नाराजगी जताई थी। उन्होंने तत्कालीन नगर परिषद आयुक्त को इस समस्या के समाधान के निर्देश भी दिए थे। यहां तक कि शहर में चारा बेचने के लिए भी कुछ पाइंट निर्धारित कर दिए गए थे। लेकिन, इन जिला कलक्टर के स्थानांतरण होने के बाद फिर से नगर परिषद के जिम्मेदार अधिकारी लापरवाह हो गए। इसका खामियाजा शहरवासियों को उठाना पड़ रहा है।
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बड़ा सवाल – शहर में कई गोशालाएं, फिर भी 100 बीघा भूमि क्यों चाहिए?

नगर परिषद ने बोर्ड बैठक में गोरक्षा समिति को 100 बीघा जमीन आवंटित करने का प्रस्ताव पास किया था। तर्क था कि उस जमीन पर शहर की सडक़ों पर विचरण कर रहे मवेशियों को रखा जाएगा। जिससे शहरवासियों को मवेशियों से काफी हद तक निजात मिल जाएगी। लेकिन, सवाल यह है कि जब पहले से ही शहर में कई गोशालाएं संचालित हो रही है। जिन्हें सरकार की ओर से अनुदान से भी लाभान्वित किया जा रहा है। तो क्या इन गोशाला संचालकों की जिम्मेदारी नहीं है कि वे सडक़ों पर विचरण कर रहे मवेशियों को अपनी गोशाला में रखे। उसके बाद भी इस समस्या के समाधान के लिए 100 बीघा और भूमि चाहिए, यह कहां तक उचित है।
बोर्ड बैठक में ही किया था विरोध
बोर्ड बैठक में 100 बीघा भूमि आवंटित करने का प्रस्ताव लिया गया था। उस समय मैंने विरोध किया था। यह सवाल उठाया था कि जब शहर में पहले से ही इतनी गोशालाएं संचालित हो रही है तो फिर 100 बीघा भूमि और आवंटित करने का कोई औचित्य नहीं रह जाता।
– भंवरराव, नगर परिषद प्रतिपक्ष नेता

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