क्या है प्रकरण पानीपत के बिंझौल गांव का 10 वर्षीय वंश, 9 वर्षीय वरुण और 8 वर्षीय लक्ष्य 7 जुलाई को गांव से पतंग के लिए डोर लेने एक डाई हाउस में गए थे। आरोप है कि जब वह पतंग के लिए डोर खोज रहे थे तो डाई हाउस के मैनेजर ने उनको देख लिया। फिर उसने बच्चों की हत्या कर दी और डाई हाउस के पीछे बहने वाली माइनर में फेंक दिया। 8 जुलाई को तीनों के शव माइनर में मिले थे। इसको लेकर गुरुवार 30 जुलाई को पीड़ित अपने कश्यप समाज के लोगों के साथ सुबह ट्रैक्टर-ट्रॉलियों से लघु सचिवालय के सामने धरना-प्रदर्शन करने आए थे। उनकी मांग थी कि आरोपी गिरफ्तार किए जाएं। गुस्साए लोगों ने जीटी रोड पर दोनों ओर जाम लगा दिया। पहले पुलिस अफसरों और फिर एसडीएम ने समझाया। डीएसपी संदीप की गाड़ी का घेराव किया तो पुलिस ने रोका। धक्का-मुक्की के बाद पुलिस ने लाठियां बरसा दीं। इससे गुस्साए लोगों ने पुलिस पर पथराव किया।
50 लोग हुए थे घायल लघु सचिवालय से लाल बत्ती तक पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को बल प्रयोग कर खदेड़ा। राहगीरों पर भी लाठियां बरसाईं। इससे मृतक बच्चे अरुण की मां सुनीता, पिता बिजेंद्र, दादा इंद्रसिंह, दादी नीलम, मृतक बच्चे लक्ष्य की मां शकुंतला, नानी रोशनी, मृतक बच्चे वंश की दादी सोना, अनिल, अनीता, अशोक, खुशीराम, नारायणा के रणधीर, भादड़ के ओमप्रकाश और हरबीर, निम्बरी के विनोद सहित करीब 50 लोग घायल हो गए। पथराव में सीआईए-वन प्रभारी राजपाल, सीआईए-2 के हवलदार प्रमोद, सदर थाने के हवलदार संदीप समेत 10 पुलिसकर्मियों को मामूली चोट आई थी। इसी मामले की जांच अनिल विज ने सौंपी है।