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हरियाणा की दस लोकसभा सीटों पर मतगणना आज, मोदी के इन तीन मंत्रियों के साथ 223 प्रत्याशियों की प्रतिष्ठा दांव पर

locationपानीपतPublished: May 22, 2019 08:25:11 pm

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Prateek

चुनाव प्रचार अभियान के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, अरविंद केजरीवाल तथा मायवती सरीखे नेताओं ने यहां प्रचार किया है…

file photo

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(चंडीगढ़,पानीपत): हरियाणा के मतदाता निकट भविष्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में क्या चाहते हैं, इसके संकेत आज यानि गुरूवार को मिल जाएंगे। हरियाणा की दस लोकसभा सीटों के लिए मतगणना की सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। चुनाव परिणाम भले ही लोकसभा के हों, लेकिन इन परिणामों का सीधा असर विधानसभा पर होगा, जिसके चलते सभी राजनीतिक दल इस चुनाव को सत्ता का सेमीफाइनल मानकर चल रहे हैं।

 

हरियाणा की दस लोकसभा सीटों पर कुल 223 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। इनमें मुख्य रूप से भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, जननायक जनता पार्टी-आम आदमी पार्टी गठबंधन, इनेलो, लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी व बहुजन समाज पार्टी आदि ऐसे दल हैं, जिन्होंने सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारते हुए मजबूती के साथ चुनाव लड़ा है।


चुनाव प्रचार अभियान के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, अरविंद केजरीवाल तथा मायवती सरीखे नेताओं ने यहां प्रचार किया है। चुनाव आयोग ने प्रदेश में 38 स्थानों पर 90 स्ट्रांग रूम बनाए हैं। जहां वोटों की गिनती गुरुवार सुबह आठ बजे से शुरू हो जाएगी। सुरक्षा के मद्देनजर हरियाणा पुलिस ने रोहतक, सोनीपत, झच्जर, भिवानी, सिरसा, हिसार और फतेहाबाद में केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों की छह अतिरिक्त कंपनियां लगाते हुए गृह मंत्रालय से 20 कंपनियां और मांगी हैं।

 

मोदी के तीन मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर

लोकसभा चुनाव परिणाम के दौरान मोदी सरकार के तीन मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर है। इस चुनाव में मोदी सरकार में मंत्री रहे कृष्णपाल गुर्जर ने फरीदाबाद से ताल ठोकी थी। मोदी सरकार में मंत्री रहे राव इंद्रजीत भी गुरुग्राम से चुनावी रण में हैं। राव इंद्रजीत का जनता में कोई विरोध नहीं हुआ अलबत्ता अंतिम समय तक वह मुख्यमंत्री मनोहर लाल की कार्यशैली पर सवाल उठाते रहे हैं। मोदी सरकार में मंत्री रहे चौधरी बीरेंद्र सिंह डूमरखां ने इस चुनाव में अपने आईएएस बेटे को राजनीति में समायोजित करने के लिए अपना करियर दांव पर लगा दिया है। डूमरखां ने खुद मंत्री पद से इस्तीफा दिया और राज्यसभा से भी इस्तीफे की पेशकश की थी। इसलिए इस चुनाव में बेटे की हार व जीत पिता के लिए खास मायने रखती है।

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