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समझौता एक्सप्रेस बम धमाका मामला: 12 साल बाद 11 मार्च को सुनाया जाएगा फैसला

locationपानीपतPublished: Mar 06, 2019 08:02:49 pm

Submitted by:

Prateek

पंचकूला एनआईए कोर्ट में बहस पूरी
असीमानंद समेत कई हैं धमाके में आरोपी
अब तक 211 गवाह पेश कर चुकी है एनआईए
फरवरी 2007 में हुए धमाके में 68 यात्रियों की हुई थी मौत

file photo

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(चंडीगढ़,पानीपत): करीब 12 साल पहले पानीपत में हुए समझौता एक्सप्रेस बम धमाके में अब बहुत जल्द फैसला आने वाला है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी की पंचकूला अदालत में इस केस को लेकर बहस पूरी हो चुकी है। अब आगामी 11 मार्च को फैसला सुनाया जाएगा।


भारत की तत्कालीन वाजपेयी सरकार के कार्यकाल के दौरान भारत व पाकिस्तान के बीच समझौता एक्सप्रेस रेलगाड़ी शुरू की गई थी। वर्ष 2001 में संसद हमले के बाद इस ट्रेन को बंद कर दिया गया था। जिसे जनवरी 2004 में फिर से बहाल किया गया था।


18 फरवरी 2007 को इस ट्रेन में पानीपत के निकट धमाके हुए थे। इन बम धमाकों में 68 व्यक्तियों की मौत हुई थी व 12 लोग घायल हुए थे। हादसा रेलगाड़ी के दिल्ली से लाहौर जाते समय हुआ था। हादसे के मृतकों में ज्यादातर पाकिस्तानी नागरिक थे। जिस समय यह धमाका हुआ, उसके दो दिन बाद पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश मंत्री खुर्शीद अहमद कसूरी भारत आने वाले थे। घटना की दोनों मुल्कों में कड़ी निंदा हुई, लेकिन इस कारण कसूरी का भारत दौरा रद्द नहीं हुआ। भारत सरकार ने दिल्ली से सात पाकिस्तानी घायलों को ले जाने के लिए पाकिस्तानी वायु सेना के विमान को आने की आज्ञा भी दी।


19 फरवरी को दाखिल एफआईआर के मुताबिक रात 11.53 बजे दिल्ली से कऱीब 80 किलोमीटर दूर पानीपत के दिवाना रेलवे स्टेशन के पास ट्रेन में धमाका हुआ। जिससे ट्रेन के दो जनरल कोचों में आग लग गई। मारे गए 68 लोगों में 16 बच्चे व चार रेलवे कर्मी भी शामिल थे। 15 मार्च 2007 को हरियाणा पुलिस ने इंदौर से दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया। यह इन धमाकों के सिलसिले में की गई पहली गिरफ्तारी थी। बाद में इसी तर्ज़ पर हैदराबाद की मक्का मस्जिद, अजमेर दरगाह और मालेगांव में भी धमाके हुए और इन सभी मामलों के तार आपस में जुड़ते चले गए। समझौता मामले की जांच में हरियाणा पुलिस और महाराष्ट्र के एटीएस को एक हिंदू कट्टरपंथी संगठन ‘अभिनव भारत’ के शामिल होने के संकेत मिले थे। 26 जुलाई 2010 को यह मामला जांच के लिए एनआईए को सौंपा दिया गया। जिसके चलते इस मामले में स्वामी असीमानंद को मुख्य अभियुक्त बनाया गया था।


एनआईए ने 26 जून 2011 को पांच लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। जिसमें नाबा कुमार उर्फ स्वामी असीमानंद, सुनील जोशी, रामचंद्र कालसंग्रा, संदीप डांगे और लोकेश शर्मा का नाम था। एनआईए ने पंचकुला विशेष अदालत के सामने एक अतिरिक्त चार्जशीट दाखिल की। 24 फरवरी 2014 से इस मामले में सुनवाई जारी थी। कोर्ट में जांच एजेंसी एनआईए असीमानंद के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं दे पाई। अदालती सुनवाई के चलते अगस्त 2014 में अभियुक्त असीमानंद को जमानत मिल गई।


असीमानंद के खिलाफ मुकदमा उनके इकबालिया बयान के आधार पर बना था लेकिन बाद में वह यह कहते हुए अपने बयान से मुकर गए कि उन्होंने वह बयान टॉर्चर की वजह से दिया था। बुधवार को एनआईए कोर्ट के जज जगदीप सिंह ने इस मामले में बहस पूरी होने के बाद दोनों पक्षों को इसकी जानकारी दी। इस केस में अब तक एनआईए द्वारा 211 सरकारी व प्राईवेट गवाह पेश किए जा चुके हैं। दोनों पक्षों की अंतिम दलील के बाद जज ने अब 11 मार्च के लिए फैसला आरक्षित रख लिया है।

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