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पटरी से उतरी हरियाणा की साइंस इंडस्ट्री, विदेशी आर्डर हुए रद्द, देश में भी आपूर्ति ठप

locationपानीपतPublished: Apr 30, 2020 11:42:35 pm

Submitted by:

Devkumar Singodiya

अंबाला में साइंस के उपकरण बनाने वाले करीब एक हजार छोटे-बड़े उद्योगइनसे जुड़े हैं 75 हजार कर्मचारी, जो गत एक माह से बैठे हैं बेकार

पानीपत/चंडीगढ़. हरियाणा में कोरोना के साइड इफैक्ट अब धरातल पर भी दिखाई देने लगे हैं। इसके चलते एक तरफ जहां प्रदेश सरकार वित्तीय संकट की शिकार हो गई है, वहीं हरियाणा के उद्योग धंधे भी पूरी तरह से चौपट हो गए हैं। हरियाणा सरकार ने प्रदेश में 23 मार्च को लॉकडाउन का ऐलान किया था। इसके बाद सभी उद्योग धंधे पूरी तरह से बंद हो चुके हैं। सरकार ने दूसरे चरण में शर्तों के साथ उद्योगों को खोलना तो शुरू कर दिया, लेकिन पिछले एक माह के दौरान हुए नुकसान की भरपाई में कम से कम एक साल लग जाएगा।

हरियाणा के अंबाला स्थित साइंस इंडस्ट्री न केवल भारत बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्ध है। यहां बनने वाले साइंस उपकरण समूचे भारत के अलावा पड़ोसी देश नेपाल, पाकिस्तान, दुबई, अफ्रीकन देशों, यूएस समेत कई देशों में जाता है। अंबाला छावनी में इस उद्योग के साथ प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से हजारों लोग जुड़े हुए हैं।


शैक्षिक सत्र शुरू होने में संकट के बादल


कोरोना का असर इस मार्केट पर भी बुरी तरह से पड़ा है। इसके चलते यह उद्योग पटरी से उतर चुका है। साइंटिफिक आपरेटर्स मैन्यूफैक्चर्ज एंड एक्सपोर्टर के प्रदेशाध्यक्ष उमेश गुप्ता मानते हैं कि कोरोना के कारण इस उद्योग के विदेशों में ही नहीं बल्कि भारतीय मार्केट के आर्डर भी ब्लॉक हो गए हैं। विदेशों में माल नहीं भेजा गया। स्कूलों में नया शिक्षा सत्र शुरू होने के कारण यह माह साइंस उद्योग के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है, लेकिन कोरोना के चलते एक्सपोर्ट कारोबार में गिरावट आई है। माल तैयार पड़ा है, लेकिन उसे भेजने की कोई व्यवस्था नहीं हो रही है।


सरकार की शर्तें भी कठिन

प्रदेशाध्यक्ष गुप्ता ने बताया कि अंबाला में साइंस के उपकरण बनाने वाले करीब एक हजार छोटे-बड़े उद्योगों में 75 हजार कर्मचारी जुड़े हुए हैं। जो पिछले एक माह से खाली बैठे हैं। सरकार द्वारा शर्तों के साथ उद्योग खोलने की मंजूरी दी गई है, लेकिन मौजूदा हालातों में कर्मचारी नहीं आ सकते। सरकार की शर्तें भी कठिन हैं। अगर साइंस इंडस्ट्री में काम दोबारा शुरू कर भी दिया जाए तो उसे पड़ोसी राज्यों अथवा पड़ोसी देशों तक पहुंचाना मुश्किल है।

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