कोर्ट ने पाकिस्तान दूतावास के जरिए 6 बार समन भेजा लेकिन कोई गवाही देने नहीं आया वकील मोमिन मलिक द्वारा दायर की गई याचिका में महिला का कहना था कि बाकी पाकिस्तानी चश्मदीद भी गवाही देना चाहते हैं। लेकिन कोई समन तक नहीं मिला। इस पर कोर्ट ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) व बचाव पक्ष से जवाब मांगा था। उल्लेखनीय है कि एनआईए ने चार्जशीट में कहा है कि पाक मुस्लिमों को निशाना बनाकर यह विस्फोट किया गया था। इस केस में करीब 290 गवाहों से पूछताछ की गई। इनमें 30 बयान से पलट गए। गवाही के लिए कोर्ट ने पाक दूतावास के जरिए 6 बार समन पाकिस्तान भेजे, लेकिन कोई भी गवाही देने नहीं आया।
विस्फोट में पिता की भी हो गई थी मौत-राहिला वाकिल
पाकिस्तान से मोहम्मद वाकिल की बेटी राहिला वाकिल ने ई-मेल भेजा है। इसमें कहा है कि वह एक पाकिस्तानी महिला है और समझौता ब्लास्ट की गवाह है। उनके पिता की विस्फोट में मौत हुई थी। सभी पाकिस्तानी चश्मदीद गवाह कोर्ट में पेश होकर बयान दर्ज कराना चाहते हैं, लेकिन उन्हें वीजा नहीं दिया गया। ऐसे में वे भारत नहीं आ सकते हैं। उनकी गवाही के बिना केस में फैसला नहीं लिया जाना चाहिए। यह पीडि़तों के साथ गलत होगा। इसलिए अर्जी मंजूर की जाए और उनके बयान दर्ज करने के लिए समन भेजे जाएं। राहिला पाकिस्तान के हफीसाबाद जिले के ढींगरावाली गांव की रहने वाली है।
18 फरवरी 2007 की घटना में 20 जून 2011 को चार्जशीट
18 फरवरी 2007 को पानीपत के गांव दीवाना के पास समझौता एक्सप्रेस ट्रेन की दो बोगियों में विस्फोट हुआ था। इसमें 68 यात्री मारे गए थे। मरने वालों में ज्यादातर पाकिस्तान के रहने वाले थे। एनआईए ने 29 जुलाई 2010 को जांच का जिम्मा संभाला और 20 जून 2011 को हिंदू समूह के रामचंद्र कलासांगरा उर्फ रामजी, संदीप डांगे, सुनील जोशी, लोकेश शर्मा और स्वामी असीमानंद के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की।