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लॉकडाउन के दौरान विद्युत वितरण को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी, यूनियन ने जताया रोष

locationपानीपतPublished: May 03, 2020 11:28:33 pm

Submitted by:

Devkumar Singodiya

विद्युत यूनियन का दावा है कि सब्सिडी व क्रॉस सब्सिडी खत्म होने पर आमजन को बिजली के भारी बिल चुकाने होंगे

लॉकडाउन के दौरान विद्युत वितरण को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी, यूनियन ने जताया रोष

लॉकडाउन के दौरान विद्युत वितरण को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी, यूनियन ने जताया रोष

पानीपत/चंडीगढ़. इलेक्ट्रीसिटी इम्पलाईज फैडरेशन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुभाष लांबा ने आरोप लगाया है कि केन्द्र सरकार कोविड-19 के बीच विद्युत वितरण प्रणाली को निजी हाथों में सौंपने की जल्दबाजी में है।

उन्होंने दावा किया कि जब पूरी दुनिया व भारत कोविड-19 के खिलाफ अत्यंत कठिन जंग लड़ रहा है और संक्रमण को रोकने के लिए 24 मार्च से पूरे देश में लॉकडाउन है। इसी समय केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने 17 अप्रेल को विद्युत वितरण प्रणाली को निजी हाथों में सौंपने के लिए बिजली संशोधन बिल-2020 का ड्राफ्ट जारी कर दिया। इतना ही नहीं मंत्रालय ने सभी राज्यों व अन्य स्टेक हौल्डर्स से 5 जून तक अपने सुझाव एवं टिप्पणियां आमंत्रित की है। जबकि सरकार को मालूम है कि ड्राफ्ट का अध्ययन कर अपने सुझाव देना लॉकडाउन में कैसे संभव है। उन्होंने बताया कि बिहार व तेलंगाना सहित कई राज्यों ने इस बिल का विरोध किया है। इसके बावजूद प्रधानमंत्री ने इस बिल को शीघ्र पास कराने के निर्देश दिए हैं।


सब्सिडी और क्रॉस सब्सिडी पर होगा संकट

यूनियन का दावा है कि यह बिल पास हुआ तो बिजली वितरण प्रणाली का निजीकरण का रास्ता साफ हो जाएगा। सब्सिडी व क्रॉस सब्सिडी खत्म हो जाएगी और गरीब उपभोक्ता व किसानों की पहुंच से बिजली दूर हो जाएगी। ऑल हरियाणा पावर कॉरपोरेशन वर्कर यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष सुरेश राठी व महासचिव नरेश कुमार ने इस बिल को गरीब उपभोक्ता व किसान तथा कर्मचारी विरोधी बताते हुए इसका राष्ट्रीय व प्रदेश स्तर पर उपभोक्ताओं व किसानों के साथ मिलकर विरोध करने का ऐलान किया है।

फैडरेशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष लांबा ने कहा कि देश के 30 करोड़ बिजली उपभोक्ताओं की सब्सिडी व क्रॉस सब्सिडी खत्म होने से भारी भरकम बिलों की मार आम जनता को झेलनी पड़ेगी। बिजली गरीब घरेलू व कृषि उपभोक्ता (किसानों) की पहुंच से बाहर हो जाएगी और विद्युत क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारियों की सेवा शर्तों व सेवानिवृति के लाभों पर प्रतिकूल प्रभाव पडऩा निश्चित है।

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