हीरे की चाहत में रुंझ नदी के किनारे और पहाड़ी पर मेले जैसे हालात हैं। दो राज्यों के करीब 12 जिलों के 20 हजार लोग हीरों की खोज में सुबह से लग जाते हैं। पूरे क्षेत्र में कई-कई किमी दूर तक सैकड़ों लोग हीरे तलाश रहे हैं। नदी क्षेत्र से शुरू हुआ हीरों की तलाश का सिलसिला अब नदी से लगी पहाड़ी तक पहुंच गया है। हजारों लोग पहाड़ी पर लगे दरख्तों की जड़ों से मिट्टी निकालकर हीरा तलाशते हैं। इससे पहाड़ी की हरियाली नष्ट होने और पहाड़ी के वीरान होने का संकट मंडराने लगा है।
यहां के लोग खनन में लगे: हीरा विभाग के अनुसार रुंझ नदी के आसपास हीरा मिलने की खबर सुनकर करीब 20 हजार लोग डेरा डाले हुए हैं। इनमें पन्ना जिला सहित सतना, रीवा, छतरपुर, दमोह, टीकमगढ़, कटनी, जबलपुर के लोग हैं। यूपी के चित्रकूट, प्रयागराज, बांदा, महोबा, झांसी सहित आसपास के जिलों के लोग खुदाई कर रहे हैं।
सोशल मीडिया से फैली अफवाह
निर्माणाधीन रुंझ डैम के लिए किए गए खनन की निचली परत में हीरे युक्त चाल (ग्रेवल) निकल रही है। विगत दिनों रुंझ क्षेत्र में कुछ बड़े हीरे मिलने की खबरें सोशल मीडिया में वायरल हुईं। तब से मेले जैसे हालात हैं। कुछ लोगों को मिले बड़े हीरे ब्लैक में बेचे जाने की खबरें चल रही हैं। खनिज विभाग जांच कर रहा है। इस बीच एक हफ्ते से जिला हीरा कार्यालय में जमा हो रहे रिकॉर्ड हीरों से भी उक्त क्षेत्र में हीरा तलाश करने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी है।
इसलिए खोद रहे जड़ें
जानकारों के अनुसार, जलस्रोतों में, बहाव वाले क्षेत्रों, पहाड़ी क्षेत्रों में चट्टानों के नीचे और जंगलों में, दरख्तों में सबसे अधिक हीरे मिलने की संभावना रहती है। इसे देखते हुए लोग नदी में, पहाड़ी क्षेत्र में पेड़ों की जड़ों से मिट्टी निकालकर हीरे तलाशते हैं। इससे सैकड़ों साल पुराने दरख्तों के भी सूखने की आशंका बढ़ गई है। हरियाली नष्ट होने का भी खतरा बढ़ गया है।
अवैज्ञानिक दोहन
उच्च गुणवत्ता की रेत के लिए प्रसिद्ध केन नदी की यही विशेषता उसकी बर्बादी का करण बन गई है। रेत के वैध-अवैध कारोबारी नदी को छलनी कर रहे हैं। नदी का ईको सिस्टम नष्ट हो रहा है। हीरे के लिए अवैज्ञानिक तरीके से उत्खनन के कारण पहाड़ी नष्ट होने के कगार पर पहुंच सकती है।
हीरा अधिकारी रवि पटेल के अनुसार रुंझ के किनारे और पहाड़ी पर ऐसी गतिविधियों की जानकारी है। इस संबंध में कलेक्टर से चर्चा कर रहे हैं। उनके आदेशानुसार आगे की कार्रवाई होगी। इधर अधिवक्ता राजेश दीक्षित कहते हैं कि नियमानुसार जमीन के ढाई फीट गहराई तक मिली वस्तु, खनिज या अन्य पर व्यक्ति का अधिकार हो सकता है। इससे ज्यादा गहराई में मिले किसी भी खनिज, दफीना सहित अन्य सामग्री पर सरकार का अधिकार होता है। इन हीरों पर भी सरकार का हक है। अफसरों को चाहिए कि हीरों को वैधानिक रूप से एकत्रित करने का मैकेनिज्म तैयार करें। उन्हें नीलाम करें।