गौरतलब है कि लंबे मुख वाला यह बेहद आकर्षक जलचर गंगा वैली क्षेत्र में पाए जाते हैं। पूर्व में इनके संरक्षण के लिए पन्ना की केन नदी में केन घडिय़ाल सेंचुरी बनाई गई थी। पूर्व में विभिन्न कारणों से यहां घडिय़ालों की संख्या कम होती गई ओर बीते कई सालों से यहां सिर्फ एक मादा घडिय़ाल थी। घडिय़ालों के संसार को यहां पुना: आबाद करने के लिए पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन बीते करीब एक साल से प्रयास कर रहा था।
केन में छोड़े जाएंगे घडिय़ाल
पन्ना टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर केएस भदौरिया ने बताया, सभी प्रकार की अनुमतियां मिलने के बाद चंबल सेंचुरी से २५ घडिय़ालों को शनिवार की शाम केा पन्ना के लिए रवाना कर दिया गया है। उन्हें शनिवार की सुबह करीब १० बजे पन्ना टाइगर रिजर्व की लाइफ लाइन कही जाने वाली केन नदी के मुहाड़ी घाट में छोड़ा जाएगा। इसके साथ ही कुछ घडिय़ालों को पार्क के ऊपरी हिस्से में भी छोड़े जाने की योजना है।
सेंड बैंक और नदी का बहाव है बड़ी समस्या
वाइल्ड लाइफ से जुड़े जनकारों के अनुसार केन नदी में जिस मुहाडी घाट में घडिय़ालों को छोड़ा जाता है वहां सेंड बैंक नहीं है। इससे घडिय़ालों को अंडे देने और उन्हें सुरक्षित रखने में काफी परेशानी होती है। इसका सीधा असर उनकी वंश वृद्ध पर पड़ता है। इसी तरह से इस घाट से कुछ दूरी पर ही फॉल बनता है। बारिश के दिनों में बाढ़ व पानी के तेज बहाव के साथ यदि घडिय़ाल फाल से नीचे चले गए तो फिर से ऊपर नहीं आ पाते है। इससे भी उनके वंशवृद्धि प्रभावित होती है। पार्क के ऊपरी हिस्से में जहां इन्हें छोडऩे के लिए साइटों का चयन किया गया है वहां से गंगऊ और बरियारपुर दो डैम पड़ते हैं। पानी के बहाव में उनके डैम व उनकी नहरों में आने के बाद वापस नदी में जाना बेहद मुश्किल होता है। इसके कारण केन नदी में घडिय़ालों को सरवाइवल के लिए बेहद विपरीत परिस्थतियों का सामना करना पड़ता है।
चंबल घडिय़ाल सेंचुरी मुरैना से 25 घडिय़ाल लाए जा रहे हैं। इनमें ५ नर और २० मादा घडिय़ाल हैं। इन्हें शनिवार को केन घडिय़ाल सेंचुरी में रिलीज किया जाएगा। इसके लिए सभी अनुमतियां और तैयारियां पार्क प्रबंधन द्वारा पूर्व में ही कर ली गई हैं।
केएस भदौरिया, फील्ड डायरेक्टर पन्ना टाइगर रिजर्व