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प्यारेलाल के परिवार का दर्द
शासकीय योजनाओं से वंचित बुजुर्ग प्यारेलाल के परिवार में चार सदस्य हैं जो गांव में ही रहकर बेहद गरीबी में किसी तरह जिंदगी गुजर बसर कर रहे हैं। तीन नाती और नातिन के साथ बूढी पत्नी व खुद का पेट पालने के लिए प्यारेलाल को कभी कभी गांव में भीख तक मांगनी पड़ती है। दिल पर पत्थर रखकर बताते हैं कि एक बेटा है जो मेहनत मजदूरी कर जो पैसे लाता है उससे दो वक्त की रोटी का इंतजाम भी नहीं होता है। पहले बेटी स्कूल में पढ़ती थी तो वहां से जो मध्यान्ह भोजन मिलता था उससे कुछ पेट भर लेते थे लेकिन अब वो भी बंद हो गया है।
विकलांग होने के बावजूद नहीं मिलती विकलांगता पेंशन
विकलांग बुजुर्ग प्यारेलाल पैरों से विकलांग हैं लेकिन ये जानकर हैरानी होगी कि उन्हें विकलांगता की पेंशन भी नहीं मिलती है। राशन कार्ड भी नहीं बना है, वृद्धा पेंशन से भी वंचित हैं और पीएम आवास तो मानिए सोचा ही नहीं है। ऐसा नहीं है कि शासन की योजनाओं का लाभ लेने की कोशिश प्यारेलाल ने नहीं की लेकिन भ्रष्टाचार की दीमक ने अब तक उन्हें इन योजनाओं से वंचित रखा है। प्यारेलाल बताते हैं कि राशन कार्ड बनवाने के लिए 6 हजार रुपए की मांग की जा रही है जो उनके पास नहीं हैं।
कलेक्टर ने दिया मदद का भरोसा
बुजुर्ग प्यारेलाल की फरियाद जब मीडिया ने पन्ना कलेक्टर संजय मिश्रा तक पहुंचाई तो उन्होंने पहले तो मीडिया का धन्यवाद दिया और तुरंत ही बुजुर्ग परिवार तक मदद पहुंचाने की बात कही है। कलेक्टर ने खाद्य निरीक्षक को बुलाकर वृद्ध के घर तक राशन पहुंचाने की बात भी कही और राजस्व विभाग को तुरंत वृद्ध का राशन कार्ड जारी करने के आदेश भी जारी कर दिए हैं।