शशिकांत मिश्रा. पन्ना. वन्य जीवों से लोगों का सहज लगाव होता है. ऐसे में यदि आपके आसपास बाघ दिखें तो रोमांच बढ़ ही जाता है. बाघों के आसपास टहलने के यह मंजर पन्ना टाइगर रिजर्व में दिखाई देता है. यही कारण है कि यहां पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ रही है और साथ ही उनसे होनेवाली आय में भी इजाफा हो रहा है.
चार साल में बाघ की मुंह दिखाई के पर्यटकों ने दिए साढ़े 6 करोड़– टाइगर रिजर्व ने चार साल में पर्यटन और बाघ के दीदार से साढ़े 6 करोड़ रुपए की कमाई की है। यह कमाई पर्यटकों के टिकट से हुई है। कोर जोन के पर्यटन से ही साढ़े चार करोड़ रुपए की आय हुई। बफर से सफर योजना के तहत अकोला और झिन्ना बफर जोन ने भी टाइगर रिजर्व का खजाना बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
कोरोना संकट शुरू होने के बाद से अब तक विदेशी पर्यटकों का आना बंद हो चुका है। कोर जोन का करीब 17 प्रतिशत हिस्सा ही अभी पर्यटन के लिए खुला है। सुप्रीम कोर्ट से 20 प्रतिशत से अधिक कोर जोन को पर्यटन के लिए खोलने की अनुमति नहीं है। बफर में पर्यटन पर कोई प्रतिबंध नहीं है। ऐसे में वन विभाग बफर में पर्यटन को प्रमोट करने में जुटा है।
प्रीमियम डेट्स में कोर की टिकट दोगुनी करने का एक और अहम कारण है. माना जा रहा है कि इससे पर्यटन से जुड़ा मिडिल क्लास पर्यटक बफर के सफर की ओर रुख करेगा. इसी के साथ ही कोर जोन से पर्यटकों का दबाव कुछ कम होगा।
बाघों के साथ पर्यटन भी बढ़ा वर्ष 2009 से यहां बाघों की संख्या बढऩे के साथ ही पर्यटक भी आकर्षित होने लगे थे। टाइगर रिजर्व के कोर जोन में 70 से ज्यादा बाघ हैं। अकोला बफर में छह बाघ हैं। पन्ना में कोर जोन में वाइल्ड लाइफ टूरिज्म के जैसे ही बफर में भी पर्यटक पहुंचे। कोर जोन में मड़ला, हिनौता के साथ बफर में अकोला, झिन्ना से पयर्टक वन्यप्राणियों के दीदार कर रहे हैं।