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पन्ना

जंगल और वन्यजीव को समृद्ध बनाने अधिकारियों और विशेषज्ञों ने दो दिनों तक किया मंथन

पन्ना लैंड स्केप मैनेजमेंट में शामिल होगा एमपी और यूपी के आधा दर्जन से अधिक जिलों का जंगलबाघों को और अधिक सुरक्षित क्षेत्र उपलब्ध कराने की कवायद

पन्नाJan 21, 2020 / 12:08 pm

Shashikant mishra

बाघों को और अधिक सुरक्षित क्षेत्र उपलब्ध कराने की कवायद

बाघों को और अधिक सुरक्षित क्षेत्र उपलब्ध कराने की कवायद

पन्ना. पन्ना टाइगर रिजर्व में लागतार बढ़ती बाघों की संख्या और उनके आगामी महीनों में पलायन की आशंका को देखते हुए उन्हें और अधिक सुरक्षित आवास देने की कवायद की जा रही है। इसी के तहत पन्ना लैंड स्केप के अंतर्गत आने वाले जिलों के जंगलों को भी समृद्ध करने के लिए लैंड स्केप मैनेजमेंट प्लान के लिए डब्ल्यूआईआई की ओर से वन अधिकारियों और विशेषज्ञों की दो दिनी कार्यशाल का आयोजन पयर्टन ग्राम मडला में किया गया।

दो दिनी कार्यशाल का रविवार को समापन हो गया। कार्यशाला के पहले और दूसरे दिन वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूआईआई) के अधिकारियों के दल ने इस बात पर लोगों के विचार लिए गए, जंगल और वाइल्ड लाइफ को और अच्छा कैसे बनाया जा सकता है। फील्ड डायरेक्टर पन्ना टाइगर रिजर्व केएस भदौरिया ने बताया, रिसर्चर काफी समय से गांव-गांव जाकर लोगों से मिल रहे थे और उनसे चर्चा की थी। जिसके आधार पर उन्होंने कार्यशाला में प्रेजेंटेशन के माध्यम से जानकारी दी।

इन जिलों का जंगल होगा शामिल
पन्ना लैंड स्केप मैनेजमेंट प्लान में पन्ना जिले सहित इससे आसपास के जिले छतरपुर, दमोह, कटनी, सागर, सतना, रीवा और बांदा जिले के जंगल को शामिल किया गया है। इन जिलों के जंगलों के बीच बाघों के लिए कॉरिडोर विकसित किए जाएंगे,जिससे बाघों का आवागमन सुगम हो सके। इसके साथ टाइगर रिजर्व में वयस्क हो रहे २० शावकों को भी आगामी सालों में टेरटरी बनाने के लिए पर्याप्त और सुरक्षित जंगल उपलब्ध कराने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसमें वन अधिकारियों और विशेषज्ञों के अनुभव लिये गए हैं।

स्थानीय विशेषज्ञों की अनदेखी
डब्ल्यूआईआई द्वारा मामले में लोगों की राय लेने के लिए अधिकारियों और बाहर के रिसर्चरों को तो बुलाया गया था, लेकिन विशेषज्ञों की अनदेखी की गई। उन्हें इसमें नहीं बुलाया गया। बैठक के नेशनल वाटर डेवलपमेंट अॅथारिटी की ओर से प्रायोजित होने के कारण इसमें हेडन एजेंडा होने की आशंका को लेकर भी स्थानीय विशेषज्ञों ने इस आयोजन में रुचि नहीं दिखाई। गौरतलब है कि बैठक के पूर्व आयोजन का एजेंडा केन बेतवा लिंक परियोजना के संदर्भ में लैंड स्केप डेवलपमेंट और मॉनीटरिंग रखा गया था। केन बेतवा लिंक परियोजना का मामला अभी भी सुप्रीम कोर्ट में है। ऐसे हालात में भी डब्ल्यूआईआई द्वारा मामले में केन बेतवा लिंक परियोजना को शामिल किए जाने को लेकर वाइल्ड लाइफ से जुड़े विशेषज्ञों द्वारा मुखर विरोध किया गया था। जिसके बाद डब्ल्यूआईआई के बैठक का एजेंडा बदल दिया और उससे केन बेतवा लिंक परियोजना के संदर्भ को हटा लिया गया।

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