एक सप्ताह से सिर्फ बूंदाबांदी
जिले की औसत बारिश 1176 मिमी है। जबकि, पिछले एक सप्ताह से जोरदार बारिश की जगह सिर्फ बूंदाबांदी हो रही है। किसानों ने पहले दौर की बारिश में बुवाई कर दी हैं, लेकिन अब खेतों को पानी नहीं मिल पा रहा है। मोटर चलाकर फसलों को बचाने की कोशिश की जा रही है। बीते दो दिनों से गर्मी फिर तेज हो गई है। उसम भी परेशान करने लगी है। मौसम लोगों को बीमार कर रहा है। मानसून का डेढ़ माह का समय निकल चुका है। और, नदी-नालों खाली है। अभी तक पानी की स्थिति गंभीर है। मौसम विभाग की ओर से मानसून सामान्य रहने का अनुमान बताया गया था। उम्मीद थी, बारिश औसत के होगी। लेकिन एक चौथाई ही हो पाई है। बीते साल सामान्य से 30 फीसदी कम बारिश हुई थी।
जिले की औसत बारिश 1176 मिमी है। जबकि, पिछले एक सप्ताह से जोरदार बारिश की जगह सिर्फ बूंदाबांदी हो रही है। किसानों ने पहले दौर की बारिश में बुवाई कर दी हैं, लेकिन अब खेतों को पानी नहीं मिल पा रहा है। मोटर चलाकर फसलों को बचाने की कोशिश की जा रही है। बीते दो दिनों से गर्मी फिर तेज हो गई है। उसम भी परेशान करने लगी है। मौसम लोगों को बीमार कर रहा है। मानसून का डेढ़ माह का समय निकल चुका है। और, नदी-नालों खाली है। अभी तक पानी की स्थिति गंभीर है। मौसम विभाग की ओर से मानसून सामान्य रहने का अनुमान बताया गया था। उम्मीद थी, बारिश औसत के होगी। लेकिन एक चौथाई ही हो पाई है। बीते साल सामान्य से 30 फीसदी कम बारिश हुई थी।
अब तक 370.8 मिमी औसत वर्षा
जिले की औसत वर्षा 1176.4 मिमी. है। जिसमें चालू मानसून मौसम के दौरान एक जून से अब तक 370.8 मिमी. औसत वर्षा दर्ज की गयी है। जबकि गत वर्ष इसी अवधि की औसत वर्षा 571.8 मिमी. दर्ज की गई थी। अभी तक वर्षामापी केन्द्र पन्ना में 383.7 मिमी., गुनौर में 270.2 मिमी., पवई में 324.1 मिमी., शाहनगर में 334.1 मिमी. तथा अजयगढ में 541.6 मिमी. वर्षा दर्ज की गयी है। इस प्रकार इस अवधि में अब तक सर्वाधिक वर्षा, वर्षामापी केन्द्र अजयगढ़ में तथा न्यूनतम वर्षा गुनौर में दर्ज की गई है। जबकि गत वर्ष इसी अवधि की औसत वर्षा 571.8 मिमी. दर्ज की गयी थी।
जिले की औसत वर्षा 1176.4 मिमी. है। जिसमें चालू मानसून मौसम के दौरान एक जून से अब तक 370.8 मिमी. औसत वर्षा दर्ज की गयी है। जबकि गत वर्ष इसी अवधि की औसत वर्षा 571.8 मिमी. दर्ज की गई थी। अभी तक वर्षामापी केन्द्र पन्ना में 383.7 मिमी., गुनौर में 270.2 मिमी., पवई में 324.1 मिमी., शाहनगर में 334.1 मिमी. तथा अजयगढ में 541.6 मिमी. वर्षा दर्ज की गयी है। इस प्रकार इस अवधि में अब तक सर्वाधिक वर्षा, वर्षामापी केन्द्र अजयगढ़ में तथा न्यूनतम वर्षा गुनौर में दर्ज की गई है। जबकि गत वर्ष इसी अवधि की औसत वर्षा 571.8 मिमी. दर्ज की गयी थी।
तालाबों की हालत खराब
नगर पालिका परिषद की ओर से शहर को लोकपाल सागर, धरम सागर और निरपत सागर तालाब से पेयजल की आपूर्ति की जाती है। लोकपाल सागर शहर का सबसे बड़ा तालाब है, जिसका क्षेत्रफल 400 एकड़ है। इसे सिंचाई के उद्देश्य से बनाया गया था। बाद में, मई और जून में पानी पेयजल सप्लाई के लिए सिंचाई विभाग से लिया जाता था। लेकिन अब पूरे साल पानी की सप्लाई की जाती है। अभी इसका वाटर लेबल 5 फुट ही है। 10 साल से तालाब एफटीएल (फुल टैंक लेबल) तक नहीं भर पाया है। धरम सागर भी फुल टैंक लेबिल से 20 फुट खाली है। निरपत सागर तालाब भी खाली है। इस तालाब के कैचमेंट एरिया में अतिक्रमण नहीं होने और नाले के पानी की अच्छी आवक होने से हर साल तालाब पहली ही बारिश में भर जाता है। इस साल अभी खाली है।
नगर पालिका परिषद की ओर से शहर को लोकपाल सागर, धरम सागर और निरपत सागर तालाब से पेयजल की आपूर्ति की जाती है। लोकपाल सागर शहर का सबसे बड़ा तालाब है, जिसका क्षेत्रफल 400 एकड़ है। इसे सिंचाई के उद्देश्य से बनाया गया था। बाद में, मई और जून में पानी पेयजल सप्लाई के लिए सिंचाई विभाग से लिया जाता था। लेकिन अब पूरे साल पानी की सप्लाई की जाती है। अभी इसका वाटर लेबल 5 फुट ही है। 10 साल से तालाब एफटीएल (फुल टैंक लेबल) तक नहीं भर पाया है। धरम सागर भी फुल टैंक लेबिल से 20 फुट खाली है। निरपत सागर तालाब भी खाली है। इस तालाब के कैचमेंट एरिया में अतिक्रमण नहीं होने और नाले के पानी की अच्छी आवक होने से हर साल तालाब पहली ही बारिश में भर जाता है। इस साल अभी खाली है।
1.82 लाख हेक्टेयर में बोवनी का लक्ष्य
इस साल बुवाई के लिये 1.82 लाख हेक्टेयर का लक्ष्य है। बीते साल के लक्ष्य से 10 फीसदी अधिक है। खरीफ सीजन में बोई जाने वाली फसलों को मुख्यतया 3 भागों में विभाजित किया जाता है। अनाज, दलहन और तिलहन। इस साल अनाज के 75 हजार 850 हेक्टेयर, दहलन के 6 हजार 800 हेक्टेयर और तिलहन 38 हजार 200 हेक्टेयर सहित कुल 1 लाख 82 हजार 50 हेक्टेयर में बोवनी का लक्ष्य रखा गया है।
इस साल बुवाई के लिये 1.82 लाख हेक्टेयर का लक्ष्य है। बीते साल के लक्ष्य से 10 फीसदी अधिक है। खरीफ सीजन में बोई जाने वाली फसलों को मुख्यतया 3 भागों में विभाजित किया जाता है। अनाज, दलहन और तिलहन। इस साल अनाज के 75 हजार 850 हेक्टेयर, दहलन के 6 हजार 800 हेक्टेयर और तिलहन 38 हजार 200 हेक्टेयर सहित कुल 1 लाख 82 हजार 50 हेक्टेयर में बोवनी का लक्ष्य रखा गया है।