इसी कारण उन्होंने भगवान के मित्र होने के बाद भी अपनी गरीबी दूर करने कभी श्रीकृष्ण से मित्रता के रिश्ते का उपयोग नहीं किया। आजकल ऐसे मित्र कहां मिलते हैं। श्रीकृष्ण के साथ ही सुदामा का चरित्र परम आदरणीय है। पांडाल में आए सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं को संबेाधित करते हुए महाराजश्री ने कहा, भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता कलियुग में ज्यादा प्रसांगिक हो गई है।
मित्रों के बीच आज कल ऐसे स्नेह और आदर के भाव कम ही देखने को मिलते हैं। अंतिम दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान की कथा सुनने पहुंचे थे। कथा के समापन के साथ ही पूरा पांडाल भगवान के जयकारों से गूंज उठा। आयोजन को लेकर लोगों में काफी उत्साह देखा गया। इस अवसर पर हवन और भंडारे का कार्यक्रम भी हुआ।
कन्या भोज व भंडारे में शामिल हुए लोग अमानगंज में बालाजी धर्मार्थ समिति के तत्वावधान में श्रीरामचरित मानस पाठ एवं सुंदरकांड पाठ का आयोजन किया गया। पाठ के समापन पर हवन-पूजन के साथ ही कन्या भोज और भंडारे का आयोजन किया गया। इस मौके पर बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।