उनके संघर्ष को आखिरकार सफलता मिली और बीते साल ही महिला एवं बाल विकास विभाग में छतरपुर जिले के बिजावर कस्बा में सुपरवाइजर पद पर चयनित किया गया। अब वे बिजावर परियोजना अंर्तगत सुपरवाइजर के पद पर सेवाएं दे रही हैं।
बचपन से पैर के दोनों पंजे टेढ़े सीमा बताती हैं कि बचपन से ही उनके दोनो पैर के पंजे टेढ़े थे, जिससे ठीक से चल नहीं पाती थीं। परिवार के लोगों ने बचपन में ग्वालियर में ऑपरेशन कराया, लेकिन इसके बाद भी नि:शक्तता से निजात नहीं मिल पाई। तीन भाई-बहनों में वे सबसे छोटी हैं।
गांव विक्रमपुर में प्राइमरी तक स्कूल होने के कारण बड़े भाई साइकिल से 5 किमी. दूर ग्राम द्वारी की स्कूल ले जाते थे। इसके बाद गांव से करीब 12 किमी. दूर स्थित अमानगंज कस्बा के कन्या हायर सेकंडरी स्कूल से हाई स्कूल और हायर सेकंडरी कक्षा पास की।
पवई से की बीएससी पवई कॉलेज से बीएससी की पढ़ाई पूरी की। यहां उन्हें बस से जाना होता था। कई बार सीट नहीं मिलने से खड़े होकर स्कूल जाने में काफी परेशानी होती थी। इसके बाद भी कभी अपने आप को कमजोर नहीं होने दिया।
ग्रामोदय यूनिवर्सिटी से डिस्टेंस एजूकेशन के माध्यम से एमए संस्कृत से पूरा किया और देवेंद्रनगर कॉलेज से डीएड की पढ़ाई पूरी की। उनका संघर्ष आखिरकार मुकाम तक पहुंचा और पीईबी द्वारा आयोजित महिला बाल विकास विभाग के सुपरवाइजर की परीक्षा में चयन बीते साल हो गया।