इस दौरान बस ऑनर्स ने परिहार को सड़कों की खस्ता हालत, बसों के परमिट के बीच कम टाइमिंग और टाइम मैनेज के लिए बसों द्वारा की जाने वाली ओवरस्पीड की जानकारी दी। जिलेभर में सड़कों की हालत खस्ताहाल
जिले में बस संचालित करने वाले करीब आधा दर्जन संचालकों ने एएसपी को दी जानकारी में बताया, जिले में सड़कों की हालत बहुत ही खराब है। इस साल के शुरुआती माह में हुए हादसों में खस्ताहाल सड़कें बड़ा कारण थीं। इसके साथ ही बताया गया कि बसों के परमिट समय के बीच कम अंतराल होने के कारण ओवर स्पीड में चलती हैं। इससे भी हादसों की आशंका बढ़ जाती है।
रोड किनारे एवं पुलिया की रेलिंग क्षतिग्रस्त होना भी हादसों का कारण है। इसके अलावा बस के रुकने का स्टॉप नहीं होने पर भी बसों को अतिरिक्त समय तक रोका जाता है। परिणामस्वरूप अगले गंतव्य तक पहुंचने का समय कम पड़ जाता है जिससे चालक स्पीड में बसों को चलाते हैं जिस कारण बस पलटने की घटनाएं घटित हुई हैं। उन्होंने ट्रैफिक एवं थाना पुलिस को बसों के परमिट समय चेक करने एवं सभी बस संचालकों द्वारा परमिट शर्तों का पालन किए जाने के लिए विशेष चेकिंग अभियान चलाए जाने के निर्देश जारी करने को कहा।
गति सीमा अधिक नहीं बढ़ाने की दें हिदायत जिला परिवहन अधिकारी से बसों के बीच परमिट समय अंतराल बढ़ाए जाने के लिए क्या प्रयास किए जा सकते हैं इस संबंध में चर्चा करने की बात कही गई। बस ऑनर्स से चालक को गति सीमा में सावधानीपूर्वक बस चलाने की हिदायत दिए जाने के लिए कहा गया।
इसके अलावा बस स्टैंड में अतिक्रमण जैसी अन्य समस्याओं के प्रति ध्यान आकर्षित किया गया जिनके समाधान के लिए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ने संबंधित विभाग से बात करने का आश्वासन दिया। मीटिंग में जगमोहन कोहली, कैलाश मिश्रा नारायण, किशोरी लाल गुप्ता, अनिल गुप्ता, हरीश सूखे, राजेश गोस्वामी, सुरेंद्र गुप्ता शामिल हुए।
बसों में न किराया सूची, न ही फस्ट एड बस संचालन पर नजर रखने के बाद भी हालात यह है कि बसों में नियमों का पालन नहीं किया जाता है। पूर्व में की गई शिकायत पर बस के जब्त होने के बाद भी अभी भी सतना से पन्ना का किराया 80 रुपए वसूला जा रहा है। बसों के प्रवेश द्वार पर स्थाई रूप से किराया सूची भी चस्पा नहीं की जा रही है।
फिटनेस, बीमा, रूट की जानकारी भी विंड स्क्रीन पर नहीं होती है। इसके अलावा अभी तक बसों में फस्ट एड बाक्स नहीं लगे हैं। चालक व परिचालक यूनिफार्म नहीं पहन रहे हैं। बसों में महिलाओं क लिए सीटें आरक्षित नहीं हैं। टू-बाई-टू वाली बसों की सीटें इतनी जगह नहीं होती हैं कि दो लोग बैठ सकें।