मंदिर में इसी तरह से हजारों साल पुरानी और भी प्रतिमाएं हो सकती हैं। पुरातत्व संग्रहालयाध्यक्ष ग्वालियर व प्रभारी पन्ना गोविंद बाथम ने बताया कि उक्त प्रतिमा दो भागों में है। जिस प्रकार अर्धनारीश्वर में आधे हिस्से में भगवान शिव होते हैं और आधे में पार्वती। इसी तरह से प्रतिमा में आधे हिस्से में भगवान शिव की प्रतिमा है और आधे हिस्से में भगवान विष्णु की। ऐसी प्रतिमाओं को हरिहर प्रतिमा बोलते हैं। यह बेहद दुर्लभ प्रतिमा है। यह चंदेल कालीन है और ९वीं से १०वीं शताब्दी की हैं।
पवई के हनुमान भाटा के आसपास बड़ी मात्रा में हजारों साल पुरानी प्रतिमाएं मिल जाती हैं। यहां स्थित ढोलिया मठ खजुराहो के चंदेल कालीन प्रतिमाओं और मंदिरों की प्रतिकृति जैसा है। इससे करीब डेढ़़ दशक पूर्व चार प्रतिमाएं चोरी हो गई थीं, जिसका अभी तक नहीं पता चला। इन प्रतिमाओं की कीमत करोड़ों रुपए की थी।