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महेड़ा तालाब से निकली 9वीं सदी की दुर्लभ तीन पाषाण प्रतिमाएं, आधे हिस्से में भगवान शिव तो दूसरे हिस्से में…

locationपन्नाPublished: Jun 11, 2018 12:25:13 pm

Submitted by:

suresh mishra

क्षेत्र में गुप्त और चंदेलकालीन प्रतिमाओं को सहेजने के प्रयास नहीं, ढोलिया मठ और मोहंद्रा के संग्रहालय से चोरी मूर्तियों का वर्षों बाद भी नहीं चला पता

chandel sculpture found in panna madhya pradesh

chandel sculpture found in panna madhya pradesh

पन्ना। पवई नगर से तीन किमी. दूर मोहंद्रा मार्ग स्थित महेड़ा तालाब की खुदाई के दौरान तीन अति प्राचीन दुर्लभ पाषाण प्रतिमाएं पाई गई हैं। दुर्लभ प्रतिमाओं को देखने के बाद आसपास के गांवों में चर्चा फैल गई। धीरे-धीरे बड़ी संख्या में लोग प्रतिमाओं को देखने उमड़ पड़े। प्रतिमाएं 9वीं या 10वीं शताब्दी और गुप्त काल की हो सकती हैं।
प्रतिमाओं की शृंगार और शिल्प को देखकर अनुमान लगाया जा रहा है कि ये गुप्त काल की होंगी। जानकारी के अनुसार महेड़ा तालाब की खुदाई के दौरान शनिवार की शाम एक-एक करके तीन प्रतिमाएं निकलीं। इस दौरान दो प्रतिमाएं खंडित हो गई हैं, जबकि एक पूरी तरह सुरक्षित है। पुरातात्विक तरीके से खुदाई हो तो इलाके में और भी प्रतिमा निकल सकती हैं।
चंदेल कालीन प्रतिमाएं, 9वीं या दसवीं शताब्दी की हो सकती हैं
मंदिर में इसी तरह से हजारों साल पुरानी और भी प्रतिमाएं हो सकती हैं। पुरातत्व संग्रहालयाध्यक्ष ग्वालियर व प्रभारी पन्ना गोविंद बाथम ने बताया कि उक्त प्रतिमा दो भागों में है। जिस प्रकार अर्धनारीश्वर में आधे हिस्से में भगवान शिव होते हैं और आधे में पार्वती। इसी तरह से प्रतिमा में आधे हिस्से में भगवान शिव की प्रतिमा है और आधे हिस्से में भगवान विष्णु की। ऐसी प्रतिमाओं को हरिहर प्रतिमा बोलते हैं। यह बेहद दुर्लभ प्रतिमा है। यह चंदेल कालीन है और ९वीं से १०वीं शताब्दी की हैं।
कई बार हो चुकी है चोरी
पवई के हनुमान भाटा के आसपास बड़ी मात्रा में हजारों साल पुरानी प्रतिमाएं मिल जाती हैं। यहां स्थित ढोलिया मठ खजुराहो के चंदेल कालीन प्रतिमाओं और मंदिरों की प्रतिकृति जैसा है। इससे करीब डेढ़़ दशक पूर्व चार प्रतिमाएं चोरी हो गई थीं, जिसका अभी तक नहीं पता चला। इन प्रतिमाओं की कीमत करोड़ों रुपए की थी।
अभी तक पता नहीं

इसी तरह से मोहंद्रा के पुरातत्व संग्रहालय के पुराने जर्जर भवन में भी दो बार पुरातात्विक महत्व की करोड़ों की प्रतिमाओं की चोरी हो चुकी है, जिनका अभी तक पता नहीं चल पाया है। क्षेत्र में जहां-तहां बिखरी पड़ी संपदा को सहेजने के लिए जिले में कभी गंभीरता पूर्वक प्रयास नहीं किए गए हैं। जिससे दुर्लभ प्रतिमाओं के चोरी हो जाने का सिलसिला लगातार जारी है।
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