उन्होंने इसे रिवाइज कराने की मांग भी की। विधायक ने विस को बताया कि पन्ना जिले में ही अजयगढ़ जनपद क्षेत्र के ग्राम बरियारपुर के निकट केन नदी पर आजादी से पूर्व अंग्रेजों के समय निर्मित बरियारपुर डैम का पानी अभी भी पड़ोसी राज्य उप्र के बांदा जिले के खेतों तक पहुंचता है और पानी नहीं मिलने के कारण हमारे खेत सूखे पड़े रहते हैं।
पन्ना जिले के साथ लम्बे समय से हो रहा यह अन्याय अब बन्द होना चाहिये। उन्होंने कहा, पानी को लेकर पूर्व में हुए एग्रीमेंट अव्यवहारिक और पन्ना जिले के लिये घातक है। उन्होंने कहा, हम खुद प्यासे हैं, हमारी जमीन सूखी पड़ी रहती है फिर भी हमारे यहां का पानी दूसरे प्रदेश को दिया जा रहा है, जिसे पानी से हमारी कृषि भूमि की सिंचाई होनी चाहिये हम उसका उपयोग नहीं कर पा रहे।
ऐसी स्थिति में अब इस पुराने एग्रीमेन्ट को रिवाइज करना चाहिए ताकि पन्ना जिला वासियों के साथ न्याय हो सके। विधायक ने बताया कि आजादी के बाद बरियारपुर डेम को लेकर दोनों राज्यों के बीच दोबारा एग्रीमेन्ट हुआ था। सिंगल पेज का यह एग्रीमेन्ट 31 जनवरी 1977 को तत्कालीन मुख्यमंत्रियों एनडी तिवारी और श्यामाचरण शुक्ल के बीच हुआ था। इस एग्रीमेन्ट में 37 टीएमसी पानी देने की बात कही गई है।
हमें उसमें कोई कंडीशन ही नजर नहीं आ रही है। उन्होंने आश्चर्य जताया कि जमीन हमारी, पानी हमारा फिर भी हम अपनी कृषि भूमि की सिंचाई के लिये उप्र से बंधे हुये हैं। मझगांय डैम पर भी उठाए सवाल
पन्ना विधानसभा क्षेत्र के अजयगढ़ ब्लॉक अन्तर्गत ग्राम कुंवरपुर के पास निर्माणाधीन 35 हजार 099 लाख रुपए की लागत वाले मझगांय डैम के संबंध में भी पन्ना विधायक ने सवाल उठाये हैं। इस डैम के निर्माण में अब तक 22 हजार 773 लाख रुपए खर्च किये जा चुके हैं।
इतना ही नहीं इस निर्माणाधीन डैम के पानी से अजयगढ़ जनपद क्षेत्र के 118 ग्रामों में पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये पाइप लाइन बिछाने में जल निगम द्वारा 196 लाख रुपए खर्च किए गए हैं, लेकिन अभी तक डैम में पानी आना चालू नहीं हुआ।
जहां से नहर निकलनी है उस भूमि पर तकरीबन 1 किमी उप्र का आधिपत्य है और वे उस भूमि पर नहर नहीं खोदने दे रहे। एक किमी लम्बी नहर का यह विवाद अभी तक हल नहीं हो सका और इतनी भारी भरकम राशि खर्च की जा चुकी है, जो विचारणीय है।