अधिवक्ता अतुल कुमार खरे ने बताया, रामकिशोर मौर्या पिता लालमन मौर्या निवासी नया बस स्टैंड गुनौर रोड दूरभाष केन्द्र के सामने अमानगंज सीमेन्ट बिक्री की दुकान का संचालन मौर्या हार्डवेयर के नाम से करता है। उसका ठेकेदार चन्द्रहास सोनी पिता देवीदीन सोनी हाल निवास विद्याधर कालोनी खजुराहो से परिचय था।
ठेकेदार उसकी दुकान से सीमेंट उधारी में लेता रहता था। धीरे-धीरे उस पर करीब 11 लाख रुपए की उधारी हो गई थी। इस पर सीमेंट विक्रेता द्वारा उधारी के रुपए मांगने पर वह हर बार यही कह देता था कि अभी बिल पास नहीं हुए हैं। जब कई बार रुपए की मांग की तो आरोपी चंद्रहास ने उसे भारतीय स्टेट बैंक शाखा खजुराहो का 11 लाख रुपए का चेक 28 मार्च 2015 को दिया। चेक को लगाने पर बैंक ने बताया कि उक्त खाते में पर्याप्त राशि नहीं होने के कारण बाउंस हो गया है। इसकी जानकारी आरोपी को देने पर कोई जबाव नहीं दिया और न ही राशि अदा की।
इससे पीडि़त सीमेंट विक्रेता ने आरोपी के विरुद्ध धारा 138 पर क्रम्य लिखित अधिनियम 1881 के तहत परिवार न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी राजनगर में आवेदन प्रस्तुत किया, जिसमें न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी राजनगर विनय कुमार तिवारी ने ठेकेदार को छ: माह के साधारण कारावास तथा चेक की राशि ग्यारह लाख रुपए 26 मार्च 2015 से 9 प्रतिशत वार्षिक दर से साधारण ब्याज तथा परिवाद खर्च के रूप में न्याय शुल्क सहित कुल 15 लाख 48 हजार 375 रुपए परिवादी को एक माह के भीतर अदा कने का फैसला सुनाया। ऐसा नहीं होने पर आरोपी को 2 माह का साधारण कारावास की सजा भुगतने का निर्णय पारित किया।