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झोलाछाप डॉक्टर के इंजेक्शन लगाने के बाद बिगड़ी बच्चे की हालत, जिला अस्पताल में मौत

locationपन्नाPublished: Aug 27, 2019 07:24:51 pm

Submitted by:

Anil singh kushwah

परिजनों ने झोलाछाप डॉक्टर पर लगाया लापरवाही का आरोप

Child's condition worsens after being injected in district hospital

Child’s condition worsens after being injected in district hospital

पन्ना. जिले के बृजपुर थाना क्षेत्र के ग्राम उड़की में पेट दर्द से परेशान एक बालक के परिजनों ने उसे गांव में क्लीनिक चलाने वाले एक बंगाली डॉक्टर को दिखाया। डॉक्टर के इंजेक्शन लगाने के साथ ही बालक की हालत बिगड़ी तो उसे जिला अस्पताल भेज दिया। बालक की जिला अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। मृतक के परिजनों ने बंगाली झोलाछाप डॉक्टर पर लापरवाही पूर्वक इलाज करने के आरोप लगाए हैं।
झोलाछाप डॉक्टर ने लिया जान
जानकारी के अनुसार बालक वीरेंद्र प्रजापति पिता गोविंद प्रजापति (11) नगर के धाम मोहल्ला पन्ना के माता-पिता मजदूरी करने के लिए देहरादून गए हुए हैं। इस समय वह अपनी नाना-नानी के यहां ग्राम उड़की में रहता था। बताया गया कि सोमवार की सुबह वीरेंद्र को अचानक पेट में तेज दर्द हुआ। इसपर उसकी नानी ने गांव में ही दवा देने वाले एक बंगाली झोलाछाप डॉक्टर को दिखाया। बच्चे के परिजनों के अनुसार डॉक्टर ने बच्चे को खाली पेट ही इंजेक्शन लगा दिया।
पुलिस मर्ग कायम कर जांच में जुटी
नानी उसको घर लेकर पहुंची तो बालक की हालत और भी अधिक खराब हो गई। मुंह से झाग निकलने लगा। इसपर नानी दोबारा उसी डॉक्टर के पास बच्चे को लेकर गई, इसपर डॉक्टर ने अपने वाहन से बच्चे को जिला अस्पताल भेज दिया। जिला अस्पताल में इलाज शुरू होने के कुछ ही समय बाद बच्चे की मौत हो गई। पुलिस ने मामले में मर्ग प्रकरण कायम कर बालक के शव का पीएम कराने के बाद उसे परिजनों को सौंप दिया।
पांच घंटे बाद हुआ पीएम
बच्चे की मौत करीब 12 बजे होने के बाद शव को पोस्ट मार्टम हाउस में रख दिया गया, लेकिन घंटों तक अस्पताल और पुलिस प्रशासन पोस्ट मार्टम की व्यवस्था नहीं कर सका। शाम करीब ६ बजे शव का पोस्टमार्टम किया गया। इसके बाद परिजन देर शाम बच्चे के शव को लेकर घर रवाना हो गए। इससे पहले शाहनगर में भी एक नव विवाहिता की मौत के बाद पूरे दिन प्रशासन पीएम के लिए जरूरी डॉक्टरों की व्यवस्था नहीं कर सका था। जिस कारण से उसका पीएम दूसरे दिन हो सका था। बेहद संवेदनशील मामलों में भी जिले के स्वास्थ्य विभाग की संवेदनहीनता लगातार सामने आ रही है।
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