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स्वच्छता सर्वेक्षण में पन्ना साफ तो पवई 188वें स्थान पर लुढ़का, जानिए फिर क्या हुआ

locationपन्नाPublished: Mar 06, 2019 11:19:28 pm

Submitted by:

Bajrangi rathore

स्वच्छता सर्वेक्षण में पन्ना साफ तो पवई 188वें स्थान पर लुढ़का, जानिए फिर क्या हुआ

clean survey in panna district

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पन्ना। स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 की रैंकिंग जारी कर दी गई है। पहले दिन देश के चार सौ से अधिक शहरों के सर्वे की सूची जारी की गई है , इस सूची में पन्ना जिला मुख्यालय अपना स्थान तक नियत नहीं कर पाया। जिले में से सिर्फ पवई ही अब तक जारी सूची में स्थान बना पाया है।
पवई नगर पंचायत इस सूची में राज्य स्तर पर 188वें स्थान पर पहुंचा है। बड़ी बात यह है कि नगर परिषद को वर्ष 2018 में हुए स्वच्छता सर्वे में जहां 154वां स्थान मिला था वहीं इस बार यह रेटिंग घट गई और उसे 188वें स्थान से संतोष करना पड़ा।
14,465 लोगों की आबादी वाले इन नगरीय क्षेत्र से सर्वे के दौरान पगर परिषद के कामकाज को लेकर महज 265 लोगों ने ही फीडबैक दिया। ओडीएफ घोषित जिले के इस कस्बे को वन स्टार नगर का दर्जा सर्वे के आधार पर प्रदान किया गया है।
सेवा स्तर में प्रगति पर फिसड्डी

कुल पांच हजार अंकों वाले इस सर्वें में 1250-1250 अंकों के चार बिंदुओं के आधार पर सर्वे किया गया। इन चार बिंदुओं में सेवा के स्तर पर प्रगति, स्वच्छता में प्रमाणीकरण, प्रत्यक्ष रूप से की गई निगरानी और शहर के लोगों के फीडबैक के आधार पर निर्धारित किए गए हैं।
इन चारों मामले में सबसे खराब स्थिति नगर परिषद पवई की सेवा स्तर में प्रगति सबसे खराब पाई गई। सर्वे के दौरान निर्धारित 1250 में से महज 210 अंक ही पवई को मिल पाए। इसी तरह से स्वच्छता प्रमाणीकरण में नगरीय निकाय को महज 350 अंक मिले। प्रत्यक्ष निगरानी में 726 और शहर के लोगों के फीडबैक के मामले में भी महज 542 अंक ही नगर परिषद को मिल सके।
प्रदेश से भी खराब औसत रहा

जारी किए गए सर्वे में कई बिंदुओं में तो नगरीय निकाय का परफार्मेंस प्रदेश के औसत से भी खराब रहा है। कुल स्कोरिंग में ही प्रदेश का औसत 2240 अंकों का था, जबकि पवई को महज 2128 अंक ही मिले। इसी प्रकार से सर्विस लेबिल प्रोगे्रस में प्रदेश का औसत 255 व जोन का औसत 182 रहा। पवई नगर परिषद का यह प्रतिशत 210 का है। इससे यहां सेवाओं की बदहाली का अनुमान लगा सकते हैं।
महज 265 लोगों ने दिया फीडबैक

स्वच्छता सर्वे के दौरान नगर परिषद के कामकाज को लेकर नगरिकों ने किसी प्रकार की रुचि नहीं दिखाई। इसी का नतीजा रहा कि पूरे सर्वे के दौरान नगर के महज 265 लोगों ने ही अपना फीडबैक दिया है।
वन स्टार शहर का मिला दर्जा

स्वच्छता सर्वे में नगर परिषद पवई को अंकों के आधार पर वन स्टार का दर्जा दिया गया है। यहां सर्वे के आधार पर सेवन स्टार रेटिंग तक दिया जाना था। नगर परिषद की हालत यह है कि नगर के अंदर ही कई स्थानों पर खुले में नालियां बहती हैं। शहर के अंदर ***** लोटते हैं और मीट मार्केट शहर के अंदर चलता है।
नगर के अंदर ही कई स्थानों पर अभी तक सड़कें नहीं बनाई जा सकी हैं। इससे लोगों को कच्ची सड़कों से ही आवागमन करना पड़ता है। बारिश के दिनों में लोगों की समस्या और भी अधिक बढ़ जाती है। जिम्मेदार लोगों की समस्या की ओर गंभीरता पूर्वक ध्यान नहीं देते हैं।
भ्र्रष्टाचार भी बड़ी समस्या

नगर परिषद के कामकाज में भी पारदर्शिता का अभाव है। लाखों की लागत से बना फव्वारा कभी चालू ही नहीं हुआ तो शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के निर्माण में गड़बड़ी किसी से छिपी नहीं है। अध्यक्ष द्वारा रिश्तेदारों को प्रत्यक्ष रूप से लाभ देने के मामले को भी कई बार उठाया गया है।
कार्य, जिसके कारण घटी रैंक

जनता से फीडबैक : स्वच्छता ऐप पर निर्धारित लक्ष्य 1250 से अधिक 842 अंक ही मिले

चुनौती: और अधिक लोगों तक पहुंचने की

स्वच्छता में नवाचार : नगर परिषद द्वारा स्वच्छता को लेकर ऐसा कोई काम नहीं किया गया जो उल्लेखनीय हो
चुनौती: लोगों को यूरिनल व शौचालय प्रयोग के लिए प्रेरित करने की
स्वच्छता में प्रबंधन : वार्डों में डोर टू डोर कचरा उठाने की व्यवस्था

चुनौती: शहरों की काफी तंग गलियों में पहुंचने की

जागरूकता कार्यक्रम: स्वच्छता के प्रति जागरूकता के लिए किए गए कार्यक्रम औपचारिकता में ही निपटाए
चुनौती: जागरूकता कार्यक्रम में लोगों की रुचि जगाने की

गंदगी पर जुर्माना : परिषद ने ही खुद सफाई की ओर ध्यान नहीं दिया तो जुर्माना क्या करेगी

चुनौती: कम से कम लोगों पर हो सके जुर्माना
कचरा प्रबंधन : ठेास अपशिष्ट प्रबंधन पर नहीं दिया गया ध्यान

चुनौती: शहर में कम से कम हो कचरा

जनता का जागरुक होना सबसे बड़ी चुनौती

स्वच्छता सर्वेक्षण में पवई को बीते साल से भी कम रैंक मिली। इसका प्रमुख कारण स्वच्छता को लेकर जनता में जागरूकता की कमी है। जागरूकता में कमी के कारण ही लोग नालियों में और सड़कों पर कचरा फेंक देते हैं। सफाईकर्मियों को कचरा देने में पता नहीं क्यों लोगों को परेशानी होती है।
डस्टबिन रखने की नहीं डाली आदत

नगर के मार्केट की दुकानें हो या फिर घर, लोग डस्टबिन रखना नहीं सीख रहे हैं। इससे भी कचरा नियंत्रण में काफी समस्या हो रही है। लोगों को डस्टबिन रखने की आदत डालनी होगी, तभी नगर को स्वच्छ रखा जा सकेगा।
सीएमओ नगर परिषद, पवई के अनुसार विजय कुमार रैकवार स्वच्छता सर्वेक्षण में शहर की रैंक बीते साल के सर्वे से भी कम होने का दुख है।
पूरी टीम ने मेहनत की थी। हम जनता का फीडबैक कम दे पाए, इससे भी रैंक में गिरावट आई। अपने शहर को साफ और स्वव्छ बनाने के लिए सभी लोग मिलकर फिर से प्रयास करेंगे, जिससे अगले साल इससे बेहतर रैंकिंग पाई जा सके। अधिवक्ता दारा सिंह का कहना है कि बस्ती के अंदर मीट मार्केट चल रहा है।
नगर परिषद के लोग ही उन्हें सह दे रहे हैं। इससे नगर का माहौल बिगड़ रहा है। नगरीय व स्थानीय प्रशासन द्वारा मामले को बिल्कुल भी गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। उन्हें हटाने की मांग लंबे समय से हो रही है।

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