मामले की शिकायत सीएम हेल्पलाइन में भी की गई थी, जिसमें उनकी शिकायत को यह कहते हुए बंद कर दिया गया है कि विभाग के पास बजट की कमी है, इसलिए रुपए नहीं दिए जा सकते हैं। प्रदेश सरकार के इस अप्रत्याशित जवाब के कारण अन्य कुपोषित बच्चों के अभिभावक भी अपने बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्रों में भर्ती कराने से कतराने लगे हैं।
जनवरी में पोषण पुनर्वास केंद्र में कराया गया था भर्ती जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत बढऩा के ग्राम मझगवां निवासी मुकेश चौधरी की पत्नी प्रीति चौधरी को करीब डेढ़ वर्ष पूर्व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मोहंद्रा में दो बच्चियां पैदा हुई थीं। दोनों जन्म से ही कम वजन, दुबली-पतली और कुपोषित थीं।
गांव के बच्चों में कुपोषण कम करने के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठन ग्राम विकास की सहायता से दोनों बच्चियों को जनवरी में पोषण पुनर्वास केंद्र पवई में भर्ती कराया गया था। 14 दिन उपचार के बाद दोनों बच्चियों की छुट्टी कर दी गई, पर अभिभावकों को मिलने वाली राशि चार माह बाद भी नहीं मिल पाई थी।
सीएम हेल्पलाइन में शिकायत का भी फायदा नहीं पवई अस्पताल का चक्कर लगाने के बाद भी जब दंपती को उक्त राशि नहीं मिली तो उन्होंने मामले की शिकायत 29 अप्रेल को सीएम हेल्पलाइन में की, जिसका शिकायत क्रमांक 8264042 था। उक्त शिकायत को करीब एक माह की प्रकिया में एल-थ्री स्टेज तक ले जाया गया।
इसके बाद शिकायत को यह कहते हुए बंद कर दिया गया कि विभाग के पास बजट नहीं है। इसलिए भुगतान नहीं किया जा सकता है। कुपोषण दूर करने के नाम पर हर साल करोड़ों का बजट फंूकने वाले स्वास्थ्य विभाग के पास दंपती को भुगतान करने चंद रुपए तक नहीं हैं। सीएम हेल्पलाइन में दंपती को मिले इस जवाब से वे परेशान हैं।
बहुत जल्द हितग्राही को एनआरसी से मिलने बाली राशि खाते में क्रेडिट कर दी जाएगी। बजट की कमी नहीं है। सीएम हेल्पलाइप में बजट की कमी क्यों बताई गई है इसकी जानकारी नहीं है। डॉ. एमएल चौधरी, बीएमओ, पवई
दमुईया, दलपतपुरा और मझगवां में ऐसे अभी लगभग 3 बच्चे और हैं जो एनआरसी में भर्ती रहे हैं। एनआरसी से मिलने वाली राशि अभी तक उन्हें नहीं मिली है। इसकी वजह से अन्य कुपोषित बच्चों के अभिभावक एनआरसी जाने से कतरा रहे हैं।
राजेश खरे, लोकेशन समन्वयक संकल्प
राजेश खरे, लोकेशन समन्वयक संकल्प