उन्होंने बताया कि अतिवृष्टि से प्रदेश की लगभग 60.47 लाख हेक्टेयर की 16270 करोड़ रुपए की फसलें बर्बाद हुई हैं। देश के संघीय ढांचे में यह व्यवस्था है कि जब किसी भी राज्य पर ऐसी प्राकृतिक आपदा आती है तब केंद्र सरकार का दायित्व होता है कि वह राष्ट्रीय आपदा कोष से राज्य की सहायता करे। इसी के दृष्टिगत भाजपा नीत केंद्र सरकार को विधिवत रूप से एक विस्तृत प्रतिवेदन दिया गया और केंद्र सरकार ने 6621.28 करोड़ रुपए की मांग की गई। सीएम द्वारा गृहमंत्री और पीएम को राहत के प्रति प्रतिवेदन सांैपे जाने के बाद भी प्रदेश को आवश्यक राशि मुहैया नहीं कराईजा रही है।
जिलाध्यक्ष ने बताया, मप्र की राज्य सरकार ने अपनी ओर से प्रदेश के नागरिकों, जिनके जानमाल की हानि हुई हैं उन्हें 200 करोड़ अब तक वितरित किये हैं। साथ ही 270 करोड़ की राशि उन जिलों में तत्काल वितरित कराई गई, जहां किसानों की फसलें सर्वाधिक प्रभावित हुई हैं। दिव्यारानी ने कहा कि पहले भी केंद्र प्रायोजित योजनाओं भावांतर, नल-जल योजना, केंद्रीय सड़क निधि इत्यादि में भी प्रदेश के विकास के साथ कुठाराघात किया गया। इस अवसर पर पूर्वगृह मंत्री कैप्टन जयपाल सिंह, जिला संगठन प्रभारी मनीष शर्मा, प्रवक्ता केशव प्रताप सिंह, महामंत्री दीपचंद्र अग्रवाल सहित अन्य कांग्रेस नेता मौजूद रहे।