पार्क प्रबंधन को अभी तक उनके फोटो और वीडियो भी नहीं मिल पाए हैं। इससे अ ी तक यह भी पता नहीं चल पाया है कि बाघिन ने कितने शावकों को जन्म दिया है। उनके संबंध में अैर जनकारी एकत्रित की जा रही है। उन्होंने बताया पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों और शावकों की सं या लागातार बढ़ रही है। यहां टूरिज्म को बढ़ाने के लिये भी लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
बाघिन पी-222 ने भी जन्मे हैं शावक
पन्ना टाइगर रिजर्व की बाघिन पी-२२२ ने के भी टाइगर रिजर्व के चंद्रनगर रेंज में तीन शावकों के साथ देखा गया है। पार्क प्रबंधन के अनुसार बाघिन के साथ देखे जा रहे शावक करीब तीन माह के होंगे। पार्क प्रबंधन द्वारा शावकों के साथ विचरण कर रही बाघिन पी-२२२ का वीडियो भी जारी किया गया था। गौरतलब है कि उक्त रेडिया कॉलर्ड बाघिन बाघिन पी-222 का रेडियो कालर विगत 5-6 माह से खराब होने के कारण सिग्नल प्राप्त नहीं हो रहे थे।
पन्ना टाइगर रिजर्व की बाघिन पी-२२२ ने के भी टाइगर रिजर्व के चंद्रनगर रेंज में तीन शावकों के साथ देखा गया है। पार्क प्रबंधन के अनुसार बाघिन के साथ देखे जा रहे शावक करीब तीन माह के होंगे। पार्क प्रबंधन द्वारा शावकों के साथ विचरण कर रही बाघिन पी-२२२ का वीडियो भी जारी किया गया था। गौरतलब है कि उक्त रेडिया कॉलर्ड बाघिन बाघिन पी-222 का रेडियो कालर विगत 5-6 माह से खराब होने के कारण सिग्नल प्राप्त नहीं हो रहे थे।
कभी-कभी पार्क के कर्मचारियों को बाघिन के पगमार्क मिलते रहे। जिससे पी-222 की पार्क में उपस्थिति के प्रमाण मिलते रहे हैं। पी-222 कान्हा से लाई गई बाघिन टी-2 के दूसरे लिटर की दूसरी संतान है। 15 अगस्त को बाघिन पी-222 को अपने तीन शावकों के साथ चन्द्रनगर परिक्षेत्र में बाघअनुश्रवण दल एवं परिक्षेत्र अधिकारी चन्द्रनगर द्वारा देखा गया है। पी-222 ने अपने तीसरे लिटर में तीन शावकों को जन्म दिया है।
बरिश में कठिन होता है पीअईपी से निगरानी
फील्ड डायरेक्टर भदौरिया ने बताया, बारिश के दिनों में बाघों की निगरानी पगमार्क इ प्रेसन पैड (पीआईपी) के माध्यम से करन काफी कठिन होता है। मिट् टी गीली होने के कारण बाघों के पैरों के निशान जल्दी मिट जाते हैं। नन्हें शावकों के पग मार्क उतने साफ भी नहीं आते हैं।
फील्ड डायरेक्टर भदौरिया ने बताया, बारिश के दिनों में बाघों की निगरानी पगमार्क इ प्रेसन पैड (पीआईपी) के माध्यम से करन काफी कठिन होता है। मिट् टी गीली होने के कारण बाघों के पैरों के निशान जल्दी मिट जाते हैं। नन्हें शावकों के पग मार्क उतने साफ भी नहीं आते हैं।
इससे बारिश के दिनों में इस विधि से मॉनीटरिंग काफी कठिन होती है। कॉलर्ड बाघिनों की मॉनीटरिंग में परेशानी नहीं होती है। पार्क में मौजूद बाघों में से १२ बाघों को रेडियो कॉलर लगा हुआ है। बाघों की बेहतर मॉनीटरिंग के लिये पन्ना टइगर रिजर्व ड्रोन कैमरे का भी उपयेाग करेगा।