परिवार के लोगों ने किया सहयोग आयुषी ने पढऩे की इच्छा जताई तो परिवारे के लोगों ने मिलकर सहयोग किया। इस सहयोग का ही परिणाम है कि आज वे पन्ना जिले में डिप्टी कलेक्टर के पद पर पदस्थ हैं। आयुषी बताती हैं कि वे पढऩे में बचपन से ही तेज थीं। कक्षा 12वीं में मंडला जिले में टॉप किया था। इसी कारण कम फीस पर जबलपुर के इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश मिल गया।
बीइ करने के बाद प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने लगीं। तब तक भाई ने वकालत की भी प्रैक्टिस शुरू कर दी थी। बहन के भी अतिथि शिक्षक के रूप में काम करने से परिवार में आर्थिक स्थिति पहले की अपेक्षा अच्छी हो गई थी। इसके बाद भी पढ़ाई में रुपए अधिक लगने से संघर्ष करना पड़ रहा था।
पहली पदस्थापना डिप्टी कलेक्टर के रूप में वर्ष 2015 में पीएसी की परीक्षा पास की ओर सीटीआइ के पद पर चयनित हुईं। वर्ष 2017 में उन्होंने पीएससी की परीक्षा दी और मेरिट में स्थान बनाया। उन्हें डिप्टी कलेक्टर पन्ना जिला के पद पर पहली पदस्थापना दी गई। वर्तमान में डिप्टी कलेक्टर के पद पर पदस्थ हैं।
उन्होंने अपने माता पिता को भी बुला लिया है। अब मंडला में पापा के पान की दुकान कभी कभार ही खुलती है। उसी पान की दुकान से होने वाली आय की बदौलत पूरा परिवार बौद्धिक, आर्थिक और समाजिक रूप से इतना सक्ष्म हो गया कि आसपास ही नहीं पूरे मंडला के लोगों को अपनी इस होनहार बेटी पर गर्व है।