भगवान की निकली शोभायात्रा
यह अजयगढ़ चौक, बड़ा बाजार, गोविंदजी मंदिर, बलदेवजी मंदिर, गणेश मार्केट, गांधी चौक से वापस अजयगढ़ चौक होते हुए आयोजन स्थल में शाम करीब 4 बजे संपन्ना हो गई। शोभायात्रा में सबसे आंगे बैंड चल रहे थे, इसके बाद हांथों में ध्वजा लिए बच्चों की टोली चल रही थी। इसमें बाद महिलाएं पीले पीले वस्त्र पहने चल रही थीं। महिलाओं के पीछे पुरुष धोती पहने हुए चल रहे थे। अंतिम में रथ पर सवार भगवान की शोभायात्रा की। लोगों ने मार्ग में रंगोली सजाकर यात्रा की अगवानी की। जगह-जगह शोभायात्रा की आरती उतारकर भगवान की पूजा-अर्चना की गई।
यह अजयगढ़ चौक, बड़ा बाजार, गोविंदजी मंदिर, बलदेवजी मंदिर, गणेश मार्केट, गांधी चौक से वापस अजयगढ़ चौक होते हुए आयोजन स्थल में शाम करीब 4 बजे संपन्ना हो गई। शोभायात्रा में सबसे आंगे बैंड चल रहे थे, इसके बाद हांथों में ध्वजा लिए बच्चों की टोली चल रही थी। इसमें बाद महिलाएं पीले पीले वस्त्र पहने चल रही थीं। महिलाओं के पीछे पुरुष धोती पहने हुए चल रहे थे। अंतिम में रथ पर सवार भगवान की शोभायात्रा की। लोगों ने मार्ग में रंगोली सजाकर यात्रा की अगवानी की। जगह-जगह शोभायात्रा की आरती उतारकर भगवान की पूजा-अर्चना की गई।
घट स्थापना के साथ 2 को हुआ था शुभारंभ
एक सप्ताह तक चले इस धार्मिक आयोजन का शुभारंभ घटयात्रा के साथ हुआ। घट यात्रा बड़ा बाजार स्थित दिगंबर जैन मंदिर से शुरू होकर आयोजन स्थल एवर साइन गार्डन तक पहुंची थी। सिद्ध चक्र महामंडल विधान और विश्व शांति महायज्ञ का आयोजन यमल मुनि आस्तिक्य सागर माहाराज और मुनि प्रणीत सागर महाराज के सानिध्य में हुआ। आयोजन के दूसरे दिन 3 से 8 मार्च तक प्रतिदिन सुबह 7 बजे मुनिश्री द्वारा शांतिधारा का कार्यक्रम हुआ। सुबह 8 बजे से पूजा विधान । 8.30 बजे से मुनिश्री के प्रवचन । रात में 7.30 बजे महाआरती हुई।
एक सप्ताह तक चले इस धार्मिक आयोजन का शुभारंभ घटयात्रा के साथ हुआ। घट यात्रा बड़ा बाजार स्थित दिगंबर जैन मंदिर से शुरू होकर आयोजन स्थल एवर साइन गार्डन तक पहुंची थी। सिद्ध चक्र महामंडल विधान और विश्व शांति महायज्ञ का आयोजन यमल मुनि आस्तिक्य सागर माहाराज और मुनि प्रणीत सागर महाराज के सानिध्य में हुआ। आयोजन के दूसरे दिन 3 से 8 मार्च तक प्रतिदिन सुबह 7 बजे मुनिश्री द्वारा शांतिधारा का कार्यक्रम हुआ। सुबह 8 बजे से पूजा विधान । 8.30 बजे से मुनिश्री के प्रवचन । रात में 7.30 बजे महाआरती हुई।