अब शहर ही आबादी करीब 60 हजार है। इसलिए पुरानी पाइप लाइन की जगह जल आवर्धन योजना के तहत नई पाइप लाइन डाली गई है, जबकि शहर में जलस्रोत पुराने ही हैं। नई पाइप लाइन से सप्लाई शुरू होने पर करीब तीन गुना अधिक पानी की आपूर्ति होगी, ऐसे हालात में तालाबों का पानी जल्द खत्म होने से भीषण गर्मी के दिनों में जल संकट के हालात बनने की आशंका अभी से सताने लगी है।
गौरतलब है कि शहर को पेयजल सप्लाई के लिए लोकपाल, धरम और निरपत सागर के पानी का उपयोग किया जा रहा है। निरपत सागर तालाब क्षेत्र में अधिक अतिक्रमण नहीं होने से यह हर साल भर जाता है, लेकिन धरम सागर और लोकपाल सागर अतिक्रमण की चपेट में हैं।
धरमसागर की पहाड़ी पर सैकड़ों की संख्या में झुग्गी बस्तियां बन गई हैं। यहां के जल का प्रमुख स्रोत किलकिला फीडर ध्वस्त पड़ा है। इससे इसमें बारिश का पर्याप्त पानी नहीं आ पाता है। गहरीकरण वर्ष को छोड़कर बीते दो सालों से लगातार नहीं भर पा रहा है।
लोकपाल सागर शहर का सबसे बड़ा तालाब है। बना तो सिंचाई के उद्देश्य से था, लेकिन इसका उपयोग नगर को पानी सप्लाई के लिए किया जाता है। करीब 400 एकड़ वाले तालाब का अधिकांश हिस्सा अतिक्रमण की चपेट में है।
कुडिय़ा नाला डायवर्सन का नहीं मिला लाभ बारिश के दौरान नाले में बहने वाले मदारटुंगा पहाड़ी के कुडिय़ा नाला के पानी को लोकपाल सागर तक लाने प्रशासन द्वारा नाले को बांधकर नहर बनाई गई थी। जिससे बारिश का पानी नहर से होकर छोटी-छोटी तलैयों को भरने के बाद तालाब में पहुंच जाता, लेकिन इस साल बारिश कम होने से नाला के डायवर्सन का भी ज्यादा लाभ नहीं मिल पाया।
नई लाइन से दिए जाने लगे कनेक्शन नगर में नई पाइप लाइन डालने का काम करीब पूरा हो चुका है। इससे अब नगर पालिका द्वारा मुनादी कराकर नई पाइप लाइन से कनेक्शन लेने मुनादी कराई जा रही है। शहर के लोगों से नई पाइप लाइन से कनेक्शन लेने आवेदन भी मंगाए जा रहे हैं। बड़ी संख्या में लोगों के आवेदन नपा में पहुंचने लगे हैं।
नपा से जुड़े लोगों का मानना है पानी सप्लाई करने वाले तालाब में इतना पानी तो है कि पुरानी पाइप लाइन से पानी की सप्लाई की जाए, लेकिन यदि नई पाइप लाइन से पानी की सप्लाई शुरू हुई तो पानी की गंभीर स्थिति बनेगी।
नहीं तलाश रहे जल सप्लाई के नए स्रोत नई पाइप लाइन से सप्लाई शुरू होने पर शहर के लोगों को जल संकट का समाना करना पड़ेगा। इसका अनुमान नगर पालिका और जिला प्रशासन को भी है। इसके बाद भी समय रहते पानी की आपूर्ति के लिए नए स्रोतों की तलाश नहीं की जा रही है। पूर्व सरकार में सालों तक पीएचई मंत्री रहने के बाद भी कुसुम सिंह महदेले द्वारा इस दिशा में गंभीरता के साथ प्रयास नहीं किए गए।
सालों पूर्व केन नदी का पानी शहर में लाने की दिशा में प्रयास हुए थे, लेकिन वे प्रयास सिर्फ प्राथमिक स्तर पर थे। मामले में कभी गंभीरता पूर्वक प्रयास ही नहीं किए गए हैं। उपयंत्री व जल आपूर्ति प्रभारी बीके कोरी के अनुसार पुरानी पाइप लाइन से सप्लाई के लिए तालाबों में पर्याप्त पानी है। नई लाइन से कनेक्शन दिए जाने लगे हैं। नई पाइप लाइन से सप्लाई पर कैसी स्थिति बनती है इसको देखा जाएगा।