प्रमाणिकता के बाद भी हीरे के अवैध खरीद-बिक्री के मामलों में पुलिस ने आगे जांच बढ़ाई और न ही हीरा कार्यालय ने मामले को संज्ञान में लिया। हीरे के अवैध कारोबार से जुड़े हर मामले को हर स्तर पर दबाने का प्रयास किया जाता है। पुलिस कभी भी हीरे के करोड़ों के अवैध कारोबार से जुड़े लोगों तक पहुंचने को लेकर गंभीर प्रयास करती नहीं दिखी है।
यही कारण है कि समय-समय पर पुलिस और हीरा विभाग की भूमिका पर भी सवाल उठाए जाते रहे हैं। इससे पहले भी कई आपराधिक मामलों में पुलिस जांच के दौरान वादरतों का कारण हीरा आता रहा है, लेकिन अपराधियों को पकडऩे के बाद किसी ने भी मामलों में जांच को आगे नहीं बढ़ाया।
पर्यटन कारोबार को भी बढ़ा सकता है हीरा हीरे की चमक हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती है। खासकर विदेशियों को। धरती की छाती चीरकर उसके गर्भ में दबे इस बेशकीमती रत्न के किसी सुंदरी के गले का हार बनने तक की कहानी किसी को भी रोमांचित करने की क्षमता रखती है। यही कारण है कि पर्यटन नगरी की एनएमडीसी की खदान सहित उथली हीरा खदानें पर्यटकों को देखने के लिए ललायति रहते हैंं। यहां डयमंड पार्क की स्थापना करते कटिंग, पॉलिसिंग उद्योग को विकसितकर दिया जाए। इसके साथ ही पर्यटकों के लिए एक डयमंड म्यूजियम हो।
अवैध खदानों में शत-प्रतिशत कालाबाजारी सूत्रों के अनुसार जिले में जितनी उथली हीरा खदानों को हीरा खनन के लिए पट्टे जारी किए जाते हैं फील्ड में उनसे अधिक खदानें अवैध रूप से चल रही होती हैं। अवैध खदानों से निकलने वाला शत प्रतिशत हीरा चोरी-छिपे स्मगलिंग हो जाता है। पट्टे के खदानों से निकलने वाले हीरे का बड़ा हिस्सा (करीब 80फीसदी) भी स्मगल हो जाता है।
इस संबंध में जब-तब मीडिया में समाचार भी आते रहते हैं। हीरे के काले कारोबार पर लगाम लगाने में पुलिस और हीरा विभाग पूरी तरह से असफल साबित हो रहा है। कई बार अपराधों की जांच के दौरान हीरे की अवैध खरीदी और अवैध बिक्री की पुष्टि होने के बाद भी संबंधि मामलों में पुलिस और हीरा विभाग किसी ने भी कार्रवाई करने की जहमत नहीं उठाई। इस मामले में हीरा, पुलिस और खदान संचालकों की समय-समय पर भूमिका सामने आती रही है।
कहते हैं जहां लक्ष्मी होती है वहां अपराध भी पनपते हैं। शांति का टापू कहे जाने वाले पन्ना में भी हीरे के वैध और अवैध कारोबार के चलते कई बड़े आपराधिक मामले सामने आ चुके हैं। हीरे के चलते कई लोगों को तो अपनी जान तक गंवानी पड़ चुकी है। पिछले साल हीरा खदान संचालक की हत्या हीरे के लिए होने की पुलिस जांच में पुष्टि हुई थी। पूर्व में ही ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जबकि कुछ मामले अभी भी ऐसे हैं जो अनसुलझे रहस्य बने हुए हैं।
टूर पैकेज में हो शामिल पर्यटनविद् गौरव बताते हैं कि खजुराहो अभी पर्यटकों के लिए वन नाइट डेस्टिनी है। पर्यटक रात में पन्ना आने के बाद सुबह खजुराहो के मंदिर और शाम को नेशनल पार्क घूम लेता है। दूसरे दिन उसके रुकने के लिए कुछ बचता ही नहीं है। यदि पर्यटकों के टूर पैकेज में ए टूर टू डायमंड माइंस को भी शामिल कर लिया जाए तो निश्चित ही हीरे की चमक उनको अपनी ओर आकर्षित करेगी।
इससे जहां एक ओर पन्ना की डायमंड माइंस पर्यटकों को लुभाएंगी वहीं उनके लिए खजुराहो में एक दिन से अधिक रुकने का कारण मिल जाएगा। इससे खजुराहो को होटलों के कारोबार में भी वृद्धि होगी। अभी भी अधिकांश पर्यटक हीरा और हीरा खदानें देखने की इच्छा जाहिर करते हैं, लेकिन अधिकांश लोगों के लिए डामंड माइंस, मिट्टी से हीरे निकालने की पूरी प्रक्रिया और हीरे देखना नसीब नहीं हो पता है।
इस दिशा में यदि सार्थक प्रयास किए जाएं तो पर्यटक अधिक समय तक यहां रुक सकेंगे। इससे पर्यटन कारोबार बढऩे से शासन का विदेशी मुद्रा भंडार भी बढ़ेगा। आगामी हीरा नीति में इसे शामिल किया जा सकता है।
वैध से अधिक अवैध खदानें जिला हीरा कार्यालय के अनुसार हीरा खदान चलाने के लिए कोई भी आवेदन कर सकता है। आवेदक को संबंधित वर्ष में 31 दिसंबर तक की अवधि के लिए ८ मीटर लंबाई, 8 मीटर चौड़ाई और 6 मीटर तक गहराई में खदान खोदने की अनुमति दी जाती है।
नियमानुसार खदान संचालक को खुदाई के दौरान मिलने वाले हीरों को जिला हीरा कार्यालय में जमा करना होता है। इसके बाद जिला हीरा कार्यालय हथली हीरा खदानों से मिले हीरों की नीलामी कराता है। हीरे की नीलामी में मिलने वाली राशि में से ट्रैक्स आदि की राशि काटकर शेष राशि संबंधित हीरा खदान संचालक को दे दी जाती है।
हीरा विभाग की ओर से पिछले साल करब एक हजार हीरा खदानों के पट्टे जारी किए गए थे और खदानें रिन्यूअल की गई थी। सूत्रों के अनुसार हीरा धारित पट्टी का अधिककांश क्षेत्र वन में चले जाने से अवैध रूप से दो हजार से भी अधिक खदानें चल रही हैं। जो वैधानिक रूप से चल रही खदानें से दुकाने से भी अधिक बताई जाती हैं। ड्ड