मुआवजा के उचित निर्धारण को लेकर मांग संबंधी ज्ञापन कलेक्टर को सौंपा। गौरतलब है कि पन्ना जिले में बहुप्रतीक्षित रेल परियोजना का काम बीते कुछ माह से बंद पड़ा है। राजस्व अधिकारियों द्वारा जिला मुख्यालय से सटे गांवों में भूमि का मुआवजा एकड़ और हेक्टेयर के आधार पर किया जा रहा है, जबकि लोगों ने वर्गफीट के हिसाब से लाखों में प्लॉट खरीदे हैं।
हालात यह है कि जनकपुर के पास कई ऐसे प्लॉट और मकान हैं जिनकी कीमत 25 से 50 लाख है और उन्हें 5 से 15,000 मुआवजा राशि के नोटिस दिए गए हैं। जिसमें पीडि़तों ने एक वर्ष पूर्व ही आपत्ति लगा दी थी पर आज तक इन आपत्तियों का न निराकरण किया गया और न ही नियमानुसार मुआवजा दिया।
रेलवे ने तत्कालीन कलेक्टर को जारी किया था पत्र तत्कालीन कलेक्टर मनोज खत्री को कई बार पीडि़तों ने ज्ञापन दिया और खत्री ने शासन से गाइडलाइन भी मांगी। शासन से मार्गदर्शन भी प्राप्त किया, इसके बावजूद नियमानुसार उचित मुआवजे की स्वीकृति अभी तक नहीं हो पाई है। इसके पीछे बड़ी वजह प्रशासन की चुनाव में व्यस्तता बताई जा रही है।
इस संबंध में रेलवे विभाग ने भी कलेक्टर को पत्र लिखा था जिसमें लेख किया गया कि ललितपुर, सतना, रीवा, सिंगरौली, महोबा, खजुराहो 541 किमी बड़ी रेल लाइन के निर्माण के लिए पन्ना जिला अंतर्गत अर्जित की जाने वाली भूमियों का मुआवजा निर्धारण 300 वर्ग मीटर के भूखंडों का मूल प्रति वर्ग मीटर की निर्धारित दर से एवं 300 वर्ग मीटर से अधिक भूमि का मूल्य निर्धारण प्रति हेक्टेयर के मान से प्रदान किया जाए।
तत्कालीन कलेक्टर ने किया था समिति का गठन सूत्रों के अनुसार रेलवे की ओर से पत्र मिलने के बाद तत्कालीन कलेक्टर मनोज खत्री ने २० मई २०१९ को आदेश जारी किया था। जिसमें उन्होंने छोटे-छोटे भूखंडों का मुआवजा का निर्धारण हेक्टेयर व एकड़ के बजाए आवासीय बाजार मूल्य वर्ग फीट के मान से कलेक्टर गाइडलाइन वर्ष 2017-18 के मान से निर्धारित करने के लिए दल गठित किया था।
इस दल में एसडीएम पांडेय, संयुक्त कलेक्टर डीपी द्विवेदी और उप पंजीयक रामेश्वर प्रसाद अहिरवार को शामिल किया गया था। इन्हें कहा गया था कि वे एक सप्ताह के अंदर भू-अर्जन, पुनर्वास, पुनव्र्यवस्थापन के उचित प्रतिकार और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम 2013 की धारा 26 के तहत बाजार मूल्य का अवधारण कलेक्टर गाइडलाइन के वर्ष 2017-18 के अनुसार करना था।
ग्रामीणों का फूटा गुस्सा उचित मुआवजा निर्धारण की मांग को लेकर सुबह करीब 11 बजे जनकपुर और सुनहरा के एक सैकड़ा से अधिक ग्रामीण कलेक्ट्रेट पहुंचे और मांग को लेकर प्रदर्शन कर नारेबाजी की। पूर्व विधायक श्रीकांत दुबे के नेतृत्व में ग्रामीणों ने मांग से संबंधित ज्ञापन जिला प्रशासन को सौंपा है।
ग्रामीणों ने कलेक्टर से मांग की है कि सतना और छतरपुर में जिस रेट से रेलवे की भूमि का अधिग्रहण किया गया है उसी मापदंड के अनुसार पन्ना में किया जाए। पीडि़तों ने कहा , कुछ लोगों ने जमीन का डायवर्सन कराकर मकान बना लिया है। लोन लेकर मकान बनाया है। जिसकी कीमत 25 लाख से अधिक है, इसके बावजूद 6000 का मुआवजा नोटिस दिया गया।
कुछ किसानों की जमीनों में तो मिट्टी डाल दी गई है, जिसमें खेती बंद हो गई और शासन ने मुआवजा भी नहीं दिया। ग्रामीणों ने बताया कि कलेक्टर द्वारा मामले में उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया गया है। कलेक्टर ने कहा कि मामला मेरे संज्ञान में अभी आया है। पूरे मामले का परीक्षण कराकर न्याय संगत निर्णय लिया जाएगा।