हर साल पर्व के दौरान यहां पानी होता था। इस साल बारिश कम होने और किसानों द्वारा नहर से पानी लेने के बजाए तालाब में ही मोटर रखकर सिंचाई कर ली है। इससे तालाब मेला लगने से पूर्व ही खाली हो गया है। अब हालात यह है कि तालाब पूरी तरह से सूख जाने के कारण मेला में करीब 300 गांवों से आने वाले ज्वारों के विसर्जन पर संकट आ गया है। इसे लेकर पत्रिका द्वारा प्रमुखता के साथ समाचार प्रकाशित किया गया था। इसके बाद प्रशासन हरकत में आया।
यह भी लिए गए निर्णय इस बार मेले में वाहन प्रवेश शुल्क की दरों में कुछ बदलाव किया गया है। इसके तहत मेला में आने वाले जैसे साइकिल और बैलगाड़ी नि:शुल्क रखने का निर्णय लिया गया है। इसके साथ ही दो पहिया वाहन से पूरे दिन के 5 रुपए गाड़ी गुम होने की जिम्मेदारी सहित, जीप ऑटो से 10 रुपए प्रति चक्कर या पचास रुपए दैनिक पास, बस व ट्रक से 20 रुपए प्रति चक्कर शुल्क वसूलने का निर्णय लिया गया।
पुलिस व्यवस्था और सुरक्षा की जिम्मेदारी एसआइ डीपी सिंह को सौंपी है। 5 अप्रैल से दुकानों के आवंटन और ले-आउट डलने का कार्य लोक निर्माण विभाग द्वारा प्रारंभ करा दिया जाएगा। पिछले साल कुआंताल मेला घूमने आए तत्कालीन ग्रामीण विकास विभाग मंत्री और वर्तमान में मप्र विस के नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने तीस लाख रुपए देने की घोषणा की थी। तालाब सौंदर्यीकरण के लिए स्थानीय सरपंच सचिव ने कोई भी प्रस्ताव बनाकर पंचायत मंत्री के पास नहीं भेजा।
मेला में शराब बिक्री व शराबखोरी रोकने एसडीओपी बीएस परिहार ने सख्ती से निपटने की बात कही। बैठक में मेला समिति के अध्यक्ष प्रभु पटेल, जनपद सदस्य मोहनी परौंहा, ओमकार तिवारी, उमा गुप्ता, अनंतराम चौरसिया, नंदू आचार्य, ग्राम पंचायत बनौली गम्मा लोधी सहित अधिकारी व कर्मवारी मौजूद रहे।