बहन-बहनोई, फूफा-बुआ सहित छह रिश्तेदार जिला मुख्यालय से 70 किमी से भी दूर स्थित साटा गांव से नौ लोग तीर्थयात्रा पर गए थे, जिनमें से आठ लोग पार्थिवदेह बनकर लौटे। गांव के द्विवेदी परिवार के महिला-पुरुषों को मिलाकर छह और ङ्क्षसह परिवार के एक दंपती की मौत हुई है। द्विवेदी परिवार के छह लोगों के अलावा अलग-अलग गांव में रहने वाले उनके बहन-बहनोई, फूफा-बुआ सहित छह रिश्तेदार भी उसी बस में सवार थे। इनमें से भी कोई नहीं बचा। हादसे की सूचना के बाद से ही साटा बुद्धङ्क्षसह गांव में कोहराम मच गया। आसपास के गांव में शोक और सन्नाटा पसरा है।
एक दिन में कभी दो चिताएं नहीं जलीं, अब आठ चिताएं देखनी होंगी
रोते-बिलखते ग्रामीणों ने बताया कि इस गांव में पहले कभी एक दिन में दो चिताएं नहीं जलीं थीं, लेकिन अब आठ चिताएं एक साथ जलेंगी। हादसे में द्विवेदी परिवार के दिनेश प्रसाद, प्रभा द्विवेदी, राजकुमार, हरिनारायण, हरिबाई व रूपनारायण और ङ्क्षसह परिवार के राजाराम और उनकी पत्नी गीता ङ्क्षसह की मौत हुई है।
रोते-बिलखते ग्रामीणों ने बताया कि इस गांव में पहले कभी एक दिन में दो चिताएं नहीं जलीं थीं, लेकिन अब आठ चिताएं एक साथ जलेंगी। हादसे में द्विवेदी परिवार के दिनेश प्रसाद, प्रभा द्विवेदी, राजकुमार, हरिनारायण, हरिबाई व रूपनारायण और ङ्क्षसह परिवार के राजाराम और उनकी पत्नी गीता ङ्क्षसह की मौत हुई है।
20 दिन में लौटने का कर गए थे वादा
यात्रा पर जाते समय पवई निवासी शकुंतला पांडेय अपने बेटे और बेटियों से लिपट कर रोने लगी थी। तब अवधेश ने कहा था कि पागल मत बनो। हमेशा के लिए घर छोड़कर थोड़े जा रहे हैं। बीस दिन में लौट आएंगे, लेकिन तब अवधेश को भी नहीं पता था कि उनकी यह तीर्थयात्रा अंतिम यात्रा बन जाएगी। वह देवभूमि से अनंत यात्रा पर निकल जाएंगे। उनकी मौत की सूचना से परिजनों का बुरा हाल है। बेटे कह रहे हैं कि पापा 20 दिन में लौटने का वादा कर के गए थे, लेकिन अब वह कभी नहीं लौटेंगे।
यात्रा पर जाते समय पवई निवासी शकुंतला पांडेय अपने बेटे और बेटियों से लिपट कर रोने लगी थी। तब अवधेश ने कहा था कि पागल मत बनो। हमेशा के लिए घर छोड़कर थोड़े जा रहे हैं। बीस दिन में लौट आएंगे, लेकिन तब अवधेश को भी नहीं पता था कि उनकी यह तीर्थयात्रा अंतिम यात्रा बन जाएगी। वह देवभूमि से अनंत यात्रा पर निकल जाएंगे। उनकी मौत की सूचना से परिजनों का बुरा हाल है। बेटे कह रहे हैं कि पापा 20 दिन में लौटने का वादा कर के गए थे, लेकिन अब वह कभी नहीं लौटेंगे।